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संभरण  : पुं० [सं० सम्√ भृ (भरण करना)+ल्युट्—अन] [वि० संभरणीय, संभृत] १. पालन-पोषण। २. एकत्र करना। चयन। संचय। ३. किसी काम या बात की योजना या विधान। ४. सामग्री। सामान। ५. लोगों की आवश्यकता की चीजें उनके पास पहुँचने की व्यवस्था। समायोजन। (सप्लाई) ६. यज्ञ की वेदी में लगाई जानेवाली ईटें।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
सँभरणी  : स्त्री० [सं० संभरण-ङीप्] सोमरस रखने का एक यज्ञपात्र।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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