शब्द का अर्थ
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संविधान :
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पुं० [सं० वि√धा (रखना)+ल्युट्-अन] १. ठीक तरह से किया गया विधान या व्यवस्था। उत्तम प्रबंध। २. बनावट। रचना। ३. आधुनिक राजनीति और शासन तंत्र में कानून या विधान के रूप में बने हुए वे मौलिक नियम और सिद्धान्त जिसके अनुसार किसी राज्य, राष्ट्र या संस्था का संघठन, संचालन और व्यवस्था होती है। (कान्स्टिच्यूशन) ४. दस्तूर। प्रथा। रीति। ५. अनूठापन। विलक्षणता। |
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संविधान-परिषद :
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स्त्री० [सं० मध्य० स०] वह परिषद या सभा जो देश, राष्ट्र या संस्था की व्यवस्था और शासन के लिए नियमावली या संविधान बनाने के लिए नियुक्त या संघठित की गई हो। (कांस्टिच्यूएशन एसेम्बली) |
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संविधानक :
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वि० [सं० संविधान+कन] संविधान करने वाला। संविधाता। पुं० १. कोई विचित्र घटना या व्यापार। २. उपन्यास, नाटक आदि की कथनानुसार कथानक (प्लाट) |
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संविधानवाद :
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पुं० [सं० संविधान√वद्+घञ] [वि० संविधानवादी] १. यह मत या सिद्धान्त कि किसी देश या राज्य का शासन निश्चित संविधान के अनुसार होना चाहिए। (कान्स्टिच्युशनलिज्म) |
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संविधानवादी :
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वि० [सं० संविधान√वद्+णिनि] संविधानवाद संबंधी। संविधानवाद का। पुं० वह जो संविधानवाद का अनुयायी और पोषक हो। (कांस्टिच्यूशनलिस्ट) |
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संविधानसभा :
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स्त्री०=संविधान परिषद। |
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संविधानिक :
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वि० [सं० संविधान+ठन-इक्] संविधान अथवा उसके नियमों आदि से संबंध रखने वाला। (कांस्टिच्यूशनल) |
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संविधानी :
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वि०=संविधानिक। |
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