शब्द का अर्थ
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सना :
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पुं० [अ०] प्रशंसा। स्तुति। स्त्री०=सनाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सनाई :
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स्त्री० [हि०सनना] सनने या साने जाने का क्रिया,भाव, या मजदूरी। स्त्री०=शहनाई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सनाका :
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पुं० [अनु] १. सनसनाहट। २. किसी आकस्मिक आघात के कारण उत्पन्न होनेवाली चंचलता या विकलता। उदाहरण—चंद्रलेखा का हृदय सनाका खा गया।—हजारीप्रसाद द्विवेदी। क्रि० प्र०—खाना। |
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सनाढ्य :
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पुं० [सं० सन=दक्षिण+आढ्य=संपन्न] गौड़ ब्राह्मणों की एक शाखा या वर्ग। |
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सनातन :
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वि० [सं०] [भाव० सनातनता] १. जो आदि अथवा बहुत प्राचीन काल से बराबर चला आ रहा हो। जिसके आदि का समय ज्ञात न हो। जो परंपरानुसार आचार-विचार आदि पर निष्ठा रखता हो। परंपरानिष्ट (आर्थोडाक्स) २. सदा बना रहनेवाला। नित्य। शाश्वत। ३. निश्चल। स्थिर। ४. अनादि और अनंत। पुं० [वि० सनातनी] १. अत्यन्त प्राचीन काल। २. बहुत दिनों से चला आया हुआ व्यवहार क्रम या परम्परा। (विशेषतः धार्मिक आचार, विश्वास आदि के संबंध में) ३. वह जिसे श्राद्ध आदि में भोजन कराना आवश्यक हो। ४. ब्रह्मा। ५. विष्णु। ६. शिव। |
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सनातन पुरुष :
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पुं० [सं०] विष्णु भगवान्। |
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सनातन-धर्म :
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पुं० [सं० मध्यम० स० कर्म० स० वा] १. ऐसा धर्म जो अनादि अथवा बहुत प्राचीन काल से चला आ रहा हो। २. वर्तमान हिंदू धर्म जिसके संबंध में उसके अनुयायियों का विश्वास है कि यह अनादि काल से चला आ रहा है। इसके मुख्य अंग है-बहुत से देवी-देवताओं की उपासना, मूर्ति-पूजा, तीर्थ-यात्रा, श्राद्ध, तर्पण आदि। |
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सनातन-धर्मी :
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पुं० [सं०] सनातन धर्म का अनुयायी या माननेवाला। |
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सनातनी :
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पुं० [सं० सनातन+ई (प्रत्य)] सनातन धर्म का अनुयायी। वि० १. सनातन। २. सनातन धर्मावलम्बियों में प्रचलित या होनेवाला। |
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सनाथ :
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वि० [सं० अव्य० स०] [स्त्री० सनाथा] जिसकी रक्षा करने वाला कोई स्वामी हो। जिसके ऊपर कोई मददगार या सरपरस्त हो। ‘अनाथ’ का विपर्याय। मुहा—किसी को सनात करना=शरण में लेकर आश्रय देना। पूरा सहायक बनना। अव्य० नाथ-सहित। |
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सनाथा :
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वि० १ सं० सनाथ-टाप्] (स्त्री०) जिसका पति जीवित हो। सधवा। |
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सनाभ :
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पुं० [सं० ब० स०] १. सगा भाई। २. सगा-संबंधी। |
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सनाभि :
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पुं० [सं० ब० स०] १. संबंध के विचार से एक ही माँ के पेट से उत्पन्न दो बच्चे जो चाहें एक ही पिता की संतान हों या एक से अधिक पिताओं की। २. दे० ‘सनाभ’। |
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सनामक सनामा (मन्) :
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वि० [सं०] एक ही नाम वाले (दो या अधिक)। नाम-रासी। |
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सनाय :
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स्त्री० [अ० सना] एक प्रकार का पौधा जिसकी पत्तियाँ रेचक होती हैं। सोनामुखी। |
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सनासना :
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अव्य० [अनु०] सन शब्द करते हुए।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सनाह :
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पुं०=सन्नाह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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