शब्द का अर्थ
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सव्य :
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वि० [सं०] १. वाम। बायाँ। २. दक्षिण। दाहिना। ३. प्रतिकूल। विपरीत। पुं० १. यज्ञोपवीत। जनेऊ। २. विष्णु। ३. अंगिरा के पुत्र एक ऋषि जो ऋग्वेद के कई मंत्रों के द्रष्टा थे। ४. चन्द्र या सूर्य ग्रहण के दस प्रकार के ग्रासों में से एक प्रकार का ग्रास। |
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सव्यचारी (रिन्) :
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पुं० [सं०] १. अर्जुन का एक नाम। २. अर्जुन वृक्ष। ३. दे० ‘सव्यचारी’। |
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सव्यभिचार :
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पुं० [सं०] भारतीय न्यायशास्त्र में ५ प्रकार के हेत्वाभासों में से एक। |
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सव्यसाची (चिन्) :
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पुं० [सं०] अर्जुन (पांडव)। वि०जो दाहिने और बायें दोनों हाथों से सब काम समान रूप से कर सकता हो। |
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