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साधु  : वि० [सं०] [भाव० साधुता, स्त्री० साध्वी] १. अच्छा। भला। २. जिसमें कोई आपत्तिजनक बात या दोष न हो; फलतः ग्राह्य और प्रशंसनीय। ३. सच्चा। ४. चतुर। निपुण। होशियार। ५. उपयुक्त। योग्य। ६. उचित। मुनासिब। वाजिब। अव्य० १. बहुत अच्छा किया या बहुत अच्छा हुआ। मुहा०—साधु साधु कहना=किसी के कोई अच्छा काम करने पर उसकी बहुत प्रशंसा करना। २. बहुत ठीक, ऐसा ही किया जाय अथवा ऐसा ही हो। ३. बस बहुत हो चुका, अब रहने दो। पुं० १. वह जिसका जन्म उत्तम कुल में हुआ हो। कुलीन। आर्य। २. वह जिसकी कोई साधना, विशेषतः आध्यात्मिक या धार्मिक साधना पूरी हो चुकी हो। सिद्ध। ३. वह धार्मिक, परपोकारी और सदाचारी व्यक्ति जो धर्म, सत्य आदि का उपदेश करके दूसरों का कल्याण करता हो। महात्मा। संत। ४. वह जो सांसारिक प्रपंच छोड़कर त्यागी और विरक्त हो गया हो। ५. बहुत ही शांत भाव से से रहनेवाला सदाचारी और सुशील व्यक्ति। बहुत ही भला आदमी। सज्जन। ६. वणिक। व्यापारी। ७. वह जो लोगों को धन आदि उधार देकर उनके ब्याज या सूद से अपना निर्वाह करता हो। महाजन। साहु। ८. जैन यति, मुनि या साधु। ९. जि देवय १॰. दौना नामक पौधा। दमनक। ११. वरुण वृक्ष।
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साधु-वृत्त  : वि० [सं०] उत्तम स्वभाव और चरित्रवाला। साधु आचरण करनेवाला।
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साधु-वृत्ति  : स्त्री० [सं०] उत्तम और श्रेष्ठ आचरण तथा वृत्ति।
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साधु-साधु  : अव्य० [सं०] साधुवाद का सूचक पद। धन्य-धन्य।
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साधुकारी (रिन्)  : वि० [सं० साधु√कृ (करना)+णिनि] जो उत्तम कार्य करता हो। अच्छे काम करनेवाला।
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साधुज  : वि० [सं०] जिसका जन्म उत्तम कुल में हुआ हो। कुलीन।
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साधुजात  : वि० [सं०] १. सुन्दर। खूबसूरत। २. चमकीला। उज्जवल। ३. साफ। स्वच्छ। ४. कुलीन।
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साधुता  : स्त्री० [सं० साधु+तल्—टाप्] १. साधु होने की अवस्था, गुण, धर्म या भाव। साधुपन। २. भलमनसाहत। सज्जनता। ३. नेकी। भलाई। ४. सीधापन। सिधाई।
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साधुत्व  : पुं० [सं० साधु+त्व]=साधुता।
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साधुमती  : स्त्री० [सं० साधु-मतु, ङीप्] तांत्रिकों की एक देवी। ३. दसवीं पृथ्वी। (बौद्ध)
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साधुवाद  : पुं० [सं०] १. किसी के कोई उत्तम कार्य करने पर ‘‘साधु साधु’’ कहकर उसकी प्रशंसा करना। २. उक्त रूप में की हुई प्रशंसा या कही हुई बात।
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