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स्यमंतक  : पुं० [सं०] पुराणोक्त एक प्रसिद्ध मणि जिसकी चोरी का झूठा आरोप श्रीकृष्ण पर लगा था। विशेष-कहा गया है कि सत्राजित् यादव ने सूर्य भगवान् को प्रसन्न करके उनसे मणि प्राप्त की थी, जो नित्य २००० पल सोना देती थी। जब उसका भाई प्रसेनजित् इसे गले में पहनकर जंगल में शिकार खेलने गया,तब शेर उसे उठाकर जांबवंत की गुफा में ले गया,जहाँ उस मणि के प्रकार से सारी गुफा जगमगा उठी। सत्राजित् कहने लगा कि श्रीकृष्ण ने ही मेरे भाई को मारकर वह मणि ले ली है। श्रीकृष्ण वह मणि ढूँढ़ते-ढूँढ़ते जांबवंत की गुफा में पहुँचे। वहाँ जांबवंत ने उस मणि के साथ अपनी कन्या जांबवंती भी उन्हें अर्पित कर दी। जब श्रीकृष्ण वह मणि लाकर सत्राजित् को ही,तब उसने भी प्रसन्न होकर उस मणि समेत अपनी कन्या सत्यभामा श्रीकृष्ण को अर्पित कर दी। पर श्रीकृष्ण ने वह मणि नहीं ली। बाद में शतधन्वा ने सत्राजित् को मारकर वह मणि ले ली। पर अंत में शतधन्वा भी श्रीकृष्ण के हाथों मारा गया और इस प्रकार वह मणि फिर सत्यभामा को मिल गई।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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