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स्याहा  : स्त्री० [फा०] १. स्याह अर्थात् काले होने की अवस्था, गुण या भाव। कालापन। कालिमा। मुहावरा-स्याही जाना=बेलों का कालापन जाना। जवानी बीतना और बुढ़ापा आना। स्याही छाना=चेहरे का रंग काला पडना। २. कालिख। कलौंछ। क्रि० –प्र०–पोतना।–लगाना। ३. वह प्रसिद्ध रंगीन तरल अथवा कुछ गाढ़ा पदार्थ,जो लिखने या कपड़े,कागज आदि छापने के काम में आता है। रोशनाई। (इंक)। विशेष-स्याही यद्यपि निरुक्ति के विचार से काली ही होगी,पर लोक व्यवहार में नीली, लाल, हरी आदि स्याहियाँ भी होती है। ४. कड़ुए तेल के धुएँ से पारा हुआ एक प्रकार का काजल जिससे शरीर के अंगों में गोदना गोदते हैं। स्त्री०=साही (जंतु)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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