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लेखक:

कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
जन्म : 30 दिसम्बर, 1887, भड़ौंच (गुजरात)।

मृत्यु : 8 फरवरी, 1971।

शिक्षा : बी.ए., एल-एल.बी., डी.लिट्., एल.एल.डी.।

मुंशीजी गुजराती के सुबिख्यात उपन्यासकार, इतिहास, राजनीति, साहित्य और संस्कृति के मर्मज्ञ तथा प्राच्य विद्या के बहुश्रुत विद्वान थे। अंग्रेज़ी, हिन्दी, संस्कृत और अन्य कई भाषाओं पर उनका अच्छा अधिकार था।

प्रारम्भ (1915) में ‘यंग इंडिया’ के संयुक्त सम्पादक बने। सन् 1938 से भारतीय विद्या भवन के आजीवन अध्यक्ष और ‘भवन्स जर्नल’ के सम्पादक रहे। सन् 1937-47 के दौरान दस वर्षों तक ‘गुजराती साहित्य परिषद’ के अध्यक्ष-पद पर काम किया। सन् 1944 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता की। सन् 1951 से मृत्यु-पर्यन्त, संस्कृत विश्व-परिषद् के भी वे अध्यक्ष रहे।

सन् 1952 से 1957 तक उन्होंने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल का पद-भार सँभाला और उसी दौरान सन् 1957 में भारतीय इतिहास कांग्रेस की अध्यक्षता की।

कृतियाँ :

उपन्यास : लोमहर्षिणी, लोपामुद्रा, जय सोमनाथ, भगवान परशुराम, तपस्विनी, पृथ्वीवल्लभ, भग्नपादुका, पाटण का प्रभुत्व, कृष्णावतार के सात खण्ड : बंसी की धुन, रुक्मिणी हरण, पाँच पाण्डव, महाबली भीम, सत्यभामा, महामुनि व्यास, युधिष्ठिर।

नाटक : वार रे मैं वाह!।

आत्मकथा : आधे रास्ते (प्रथम खण्ड), सीधी चढ़ान (द्वितीय खण्ड), स्वप्नसिद्धि की खोज में (तृतीय खण्ड)।

पाटन का प्रभुत्व

कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी

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भगवान परशुराम

कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी

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यह उपन्यास एक युगपुरुष की ऐसी शौर्यगाथा है जो किसी भी युग में अन्याय और दमन के लिए सक्रिय प्रतिरोध की प्रेरणा देती रहेगी।

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राजाधिराज

कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी

मूल्य: $ 14.95

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लोपामुद्रा

कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी

मूल्य: $ 11.95

ऋषि विश्वामित्र के जन्म और बाल्यकाल का वर्णन...   आगे...

लोमहर्षिणी

कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी

मूल्य: $ 7.95

लोमहर्षिणी

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