जन्म : सन् 1948, इलाहाबाद।
शिक्षा : एम.ए. (इलाहाबाद विश्वविद्यालय)।
साहित्य उन्हें विरासत में मिला। फ़ारसी भाषा साहित्य में एम.ए., जामिया मिलिया इस्लामिया में कुछ वर्ष अध्यापन, हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी, पश्तो-अंग्रेजी भाषाओं का ज्ञान। वह ईरानी समाज और राजनीति के अतिरिक्त साहित्य, कला संस्कृति विषयों की विशेषज्ञ हैं। ईरान, इराक, अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान तथा भारत के राजनीतिज्ञों तथा प्रसिद्ध बुद्धिजीवियों के साथ साक्षात्कार बहुचर्चित हुए। सृजनात्मक लेखन में प्रतिष्ठा प्राप्त करने के साथ ही स्वतंत्र पत्रकारिता में भी उन्होंने बहुत अहम काम किया है।
कृतियाँ :
उपन्यास : सात नदियाँ एक समन्दर, ठीकरे की मँगनी, शाल्मली, ज़िन्दा मुहावरे, कुइयाँजान।
कहानी-संग्रह : बुतख़ाना : (नमकदान, अपनी कोख, खिड़की, बुतख़ाना, गुमशुदा लड़की, ठंडा बस्ता, बिलाव, मटमैला पानी, घुटन दूसरा चेहरा, इच्छा घर, क़ैदघर, फिर कभी, शर्त, गलियों के शहज़ादे, मरियम, लू का झोका, कल की तमन्ना, रुतबा, ख़ौफ़, गलत सवाल सही हल, नजरिया, आज का आदम, निकास द्वार, पीछा, उलझन, अभ्यास, तन्हा, पनाह, मेरी रचना प्रक्रिया।), शामी काग़ज, पत्थर गली, इब्ने मरियम, संगसार, सबीना के चालीस चोर, गूँगा आसमान, इन्सानी नस्ल, दूसरा ताजमहल, ख़ुदा की वापसी : (ख़ुदा की वापसी, चार बहनें शीशमहल की, दहलीज, दिलआरा, पुराना कानून, दूसरा कबूतर, बचाव, मेरा धर कहाँ?, नयी हुकूमत, हिन्दी कहानी।)।
अनुवाद : शाहनामा फ़िरदौसी, गुलिस्तान-ए-सादी, काली छोटी मछली, इकोज़आफ ईरानियन रेवुलूशन, बर्नियर पायर, फारसी की रोचक कहानियाँ, खुरासान, वियतनाम की लोक कथाएँ।
अध्ययन : अफ़गानिस्तान : बुज़काशी का मैदान (दो खंडों में)।
बाल-साहित्य : अपनी अपनी दुनिया, एक थी सुल्ताना।
साक्षरता : सच्ची सहेली, पढ़ने का हक़, गिल्लो बी, धन्यवाद! धन्यवाद!।
टेलिफिल्म व सीरियल : शाल्मली, वापसी, सरज़मीन, माँ, तड़प, काली मोहिनी, आया बसंत सखी, सेमल का दरख़्त, बावली।
नाटक : सबीना के चालीस चोर, दहलीज़।
लेख-संग्रह : किताब के बहाने, औरत के लिए औरत, राष्ट्र और मुसलमान।
रिपोतार्ज : जहाँ फौव्वारे लहू रोते हैं।
फिल्म : ईरानी युद्धबन्दियों पर जर्मन व फ्रांसीसी दूरदर्शन के लिए बनी फिल्म में महत्त्वपूर्ण योगदान।