लेखक:
प्रणव कुमार वन्द्योपाध्याय
जन्म :- सन् 1947।
स्कूल जीवन में लिखी कविताओं का संग्रह ‘नरक की क्रान्ति में’ 1965 में प्रकाशित हुआ। तब से साहित्य की विभिन्न विधाओं में निरन्तर लिख रहे हैं। अनके बार पुरस्कृत तथा सम्मानित। वामपक्षीय युवा आन्दोलन में सक्रियता के कारण पुलिस-यातना के शिकार हुए नैनी सेण्ट्रल जेल में बन्द रहे। अर्थशास्त्र में पी-एच.डी. तक शिक्षा इलाहाबाद और दिल्ली में। देश के जाने-माने अर्थशास्त्री। दिल्ली विश्वविद्यालय में सीनियर रीडर पद पर रहने के बाद सम्प्रति इण्डियन इन्स्टीट्यूट ऑफ फारेन ट्रेड, नयी दिल्ली में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर। यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका तथा एशिया के अनेक विश्वविद्यालयों में अध्यापन, शोधकार्य और व्याख्यान। अनेक सर्जनात्मक रचनाएँ देश तथा विदेश की भाषाओं में अनूदित। पिछले दिनों ‘पेंग्विन’ से प्रकाशित अँग्रेजी उपन्यास को अन्तरराष्ट्रीय ख्याति मिली। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर अँग्रेजी में लेखन। पेंटिंग करते हैं। कई प्रदर्शनियाँ आयोजित हुई हैं। ‘पश्यन्ती’ पत्रिका के सम्पादक भी हैं। कृतियाँ :- उपन्यास :- खबर (तीन खण्डों में), गोपीगंज संवाद, आदिकाण्ड, पदातिक, अरण्यकाण्ड, अमृतपुत्र, पंचवटी। कविता :- नरक की क्रांति में मैं, मृत शिशुओं के लिए प्रार्थना, काली कविताएँ, मुर्दागाड़ी, नक्सलबाड़ी, कालपुरुष, लालटेन और कवि जमाल हुसेन, मेघना, सपने में देश। कथा-संग्रह :- अथवा, ईश्वर बाबू अनुपस्थित थे, बर्फ के रंग शरीर, बारूद की सृष्टिकथा, आत्मज, स्थानीय समाचार, प्रणव कुमार वंद्योपाध्याय की विशिष्ट कहानियाँ, दस प्रतिनिधि कहानियाँ :- (रक्त, फादर कासीमिदो, देबिंदर जॉन और दो हाथ, बारूद की सृष्टिकथा, असंबोधित देवदास, आत्मज, आज यहाँ अँधेरा है, वृंदावन कथा, पार, सती, सलीम कुरैशी का अंत।)। नाटक :- फैसले का दिन। आत्मकथा :- विदा बंधु विदा। डायरी :- दिसम्बर 1979। यात्रा-वृत्तांत :- बहुत दूर बहुत पास, शायद वसंत। रिपोतार्ज : क्रिस्टोबल मिरांडा। निबंध :- इत्यादि। संपादन :- दलित प्रसंग, ‘भाषा, बहुभाषिता और हिंदी’। इनके अतिरिक्त पश्यंती का संपादन और टेलीविज़न के लिए फिल्म का निर्देशन। कैनवास पर चित्रांकन भी। |
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मूल्य: $ 31.95 ‘अक्षरद्वीप’ आज के मूल्यों के अंतर्गत रामकथा के ‘सुंदरकांड’ का एक पुनर्पाठ है... आगे... |
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अरण्यकाण्डप्रणव कुमार वन्द्योपाध्याय
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पदातिकप्रणव कुमार वन्द्योपाध्याय
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