लेखक:
रामदेव धुरंधर
(11 जून 1946, कारोलीन, मॉरिशस) दूर देश में रह कर हिंदी में सृजन करने के लिए एक सुपरिचित एवं ख्यातिलब्ध नाम हैं। उन्होंने पहले कुदाल उठाई, उसके बाद कलम। वे हिंदी की कई विधाओं में लिखते हैं और उनकी रचनाओं में गिरमिटया बन कर गए भारतीय श्रमिकों की बदलती पीढ़ी, उनके दर्द, दिक्कतों का जीवंत चित्रण होता हैं। उनकी कुछ चर्चित रचनाएँ – उपन्यास – चेहरों का आदमी, छोटी मछली बड़ी मछली, पूछो इस माटी से, बनते बिगड़ते रिश्ते, पथरीला सोना। कहानी संग्रह – विष-मंथन, जन्म की एक भूल, व्यंग्य संग्रह – कलजुगी धरम, चेहरों के झमेले, पापी स्वर्ग, बंदे आगे भी देख, लघुकथा संग्रह – चेहरे मेरे तुम्हारे, यात्रा साथ-साथ, एक धरती एक आकाश, आते-जाते लोग। श्री धुरंधर को उनकी हिंदी सेवा के लिए सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन सूरीनाम (2003) में सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें विश्व भाषा हिंदी सम्मान (विश्व हिंदी सचिवालय, 2013), साहित्य शिरोमणि सम्मान (मॉरिशस भारत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 2015), हिंदी विदेश प्रसार सम्मान (उ.प. हिंदी संस्थान लखनऊ, 2015), श्रीलाल शुक्ल इफको साहित्य सम्मान (जनवरी 2017) सहित कई सम्मान व पुरस्कार मिले हैं। |
|
पापी स्वर्गरामदेव धुरंधर
मूल्य: $ 16.95 श्रेष्ठ कहानी संग्रह... आगे... |
|
बंदे आगे भी देखरामदेव धुरंधर
मूल्य: $ 13.95 प्रस्तुत है रोचक व्यंग्य आगे... |
|
रामदेव धुरंधर : संकलित कहानियाँरामदेव धुरंधर
मूल्य: $ 13.95 |