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विनोद कुमार शुक्ल

जन्म : जनवरी, 1937 को राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़) में।

सृजन : पहला कविता संग्रह 1971 में लगभग जयहिन्द (पहल सीरीज़ के अन्तर्गत)वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर विचार की तरह (1981), सब कुछ होना बचा रहेगा (1992), अतिरिक्त नहीं (2000), कविता से लम्बी कविता (2001), कभी के बाद अभी (सभी कविता-संग्रह); 1988 में पेड़ पर कमरा (पूर्वग्रह सीरीज़ के अन्तर्गत) तथा 1996 में महाविद्यालय (कहानी संग्रह)नौकर की कमीज़ (1979), दीवार में एक खिड़की रहती थीखिलेगा तो देखेंगेहरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़ (सभी उपन्यास)।

मेरियोला आफ्रीदी द्वारा इतालवी में अनुवादित एक कविता-पुस्तक का इटली में प्रकाशनइतालवी में ही पेड़ पर कमरा का भी अनुवाद। इसके अलावा कुछ रचनाओं का मराठीमलयालमअंग्रेज़ी तथा जर्मन भाषाओं में अनुवाद।

मणि कौल द्वारा 1999 में नौकर की कमीज़ पर फि़ल्म का निर्माण।

आदमी की औरत और पेड़ पर कमरा सहित कुछ कहानियों पर बनी फि़ल्म आदमी की औरत (निर्देशकअमित) को वेनिस फि़ल्म फेस्टिवल के 66वें समारोह 2009 में स्पेशल इवेंट पुरस्कार। मणि कौल द्वारा 2010 में दीवार में एक खिड़की रहती थी पर फि़ल्म निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ।

दो वर्ष के लिए निराला सृजनपीठ में अतिथि साहित्यकार रहे (1994-1996)

सम्मान : गजानन माधव मुक्तिबोध फ़ेलोशिपरज़ा पुरस्कारदयावती मोदी कवि शेखर सम्मानरघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार तथा दीवार में एक खिड़की रहती थी पर साहित्य अकादमी पुरस्कार।

सम्प्रति : इन्दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में कृषि-विस्तार के सह प्राध्यापक पद से 1996 में सेवानिवृत्तअब स्वतंत्र लेखन।

सम्पर्क : सी-217, शैलेन्द्र नगररायपुर (छत्तीसगढ़)

दूरभाष : 0771-2427554

हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़

विनोद कुमार शुक्ल

मूल्य: $ 10.95

"विनोद कुमार शुक्ल का उपन्यास : बच्चों की सपनीली दुनिया और परंपरा का अनोखा मिलाजुला संसार।"

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हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़

विनोद कुमार शुक्ल

मूल्य: $ 11.95

"विनोद कुमार शुक्ल का खिलेगा तो देखेंगे : एक सामूहिक जीवन की कथा, जहाँ मौन बोलता है और प्रकृति उपचार करती है।"

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