विभिन्न रामायण एवं गीता >> श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 1 श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 1महर्षि वेदव्यास
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भगवद्गीता की पृष्ठभूमि
आत्मसंयमयोग - नामक छठा अध्याय
1-4 कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ पुरुष के लक्षण।
5-10 आत्म-उद्धार के लिये प्रेरणा और भगवत्प्राप्त पुरुष के लक्षण।
11-32 विस्तार से ध्यानयोग का विषय।
33-36 मन के निग्रह का विषय।
37-47 योग भ्रष्ट पुरुष की गति का विषय और ध्यानयोगी की महिमा।
ज्ञानविज्ञानयोग - नामक सातवाँ अध्याय
1-7 विज्ञानसहित ज्ञान का विषय।
8-12 सम्पूर्ण पदार्थों में कारणरूप से भगवान की व्यापकता का कथन।
13- 19 आसुरी स्वभाव वालों की निन्दा और भगवद्भक्तों की प्रशंसा।
20-23 अन्य देवताओं की उपासना का विषय।
24-30 भगवान के प्रभाव और स्वरूप को न जाननेवालों की निन्दा और जाननेवालों
की महिमा।
अक्षरब्रह्मयोग - नामक आठवाँ अध्याय
1-7 ब्रह्म, अध्यात्म और कर्मादि के विषय में अर्जुन के 7 प्रश्न और उनका
उत्तर।
8-22 भक्तियोग का विषय।
23-28 शुक्ल और कृष्णमार्ग का विषय।
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