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गीता प्रेस, गोरखपुर >> आध्यात्मिक प्रवचन

आध्यात्मिक प्रवचन

जयदयाल गोयन्दका

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :156
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1007
आईएसबीएन :81-293-0838-x

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इस पुस्तिका में संग्रहीत स्वामीजी महाराज के प्रवचन आध्यात्म,भक्ति एवं सेवा-मार्ग के लिए दशा-निर्देशन और पाथेय का काम करेंगे।

निवेदन


परम श्रद्धय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाको भगवान् ने चतुर्भुजरूपसे प्रकट होकर स्वत: दर्शन देनेकी कृपा की। उस बातकी ओर संकेत करते हुए श्रीगोयन्दकाजी कहा करते थे कि मेरे ऊपर भगवान् की विशेष कृपा हुई। सत्संगी भाइयोंको उन्होंने प्रवचनमें संकेत किया कि आपलोगोंपर भी भगवान् की विशेष दया है। इस कहनेमें यह भाव प्रतीत होता है कि ऐसे ऊपर भगवान् की विशेष दया है। यह समय साधनके लिये बहुत अनुकूल है। उनका कहना था कि वटवृक्ष, गंगाजी, पहाड़ियाँ तथा ऐसे पवित्र स्थानपर ऐसी ऊँची सत्संग की बातें मिलना कितनी भगवान् की दया है। इस दूश्यकी स्मृतिमात्रसे वैराग्य पैदा होता है। ऐसे स्थानपर दिये हुए इन अमूल्य प्रवचनोंको पढ़नेका हमें सौभाग्य मिल रहा है यह कितनी भगवान् की दया है। ऐसे प्रवचन सभी भाई-बहिनोंकी उपलब्ध हों, इस भावसे यह पुस्तक उनके अमूल्य वचन संगृहीत करके तैयार की गयी है।

आपलोग इसका अधिक-से-अधिक स्वयं लाभ उठायें और दूसरे सज्जनोंको प्रेरणा दें।

- प्रकाशक


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    अनुक्रम

  1. सत्संग की अमूल्य बातें

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