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गीता प्रेस, गोरखपुर >> आत्मोद्धार के सरल उपाय

आत्मोद्धार के सरल उपाय

जयदयाल गोयन्दका

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :214
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1080
आईएसबीएन :81-293-0713-8

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इसमें कल्याण में प्रकाशित 19 लेखों का संग्रह है जो पाठकों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

Aatmoddhar Ke Saral Upaya -A Hindi Book Jaydayal Goyandaka - आत्मोद्घार के सरल उपाय - जयदयाल गोयन्दका

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

नम्र निवेदन

ब्रह्मलीन श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दका के पिछले दिनों ‘कल्याण’ में प्रकाशित 19 लेखोंका यह संग्रह—‘आत्मोद्धार के सरल उपाय’ नाम से पुस्तकरूप में प्रकाशित किया जा रहा है। श्रीगोयन्दका जी के सिद्धान्त, उपदेशों तथा वचनों से लाखों-लाखों नर-नारी आध्यात्मिक लाभ उठा चुके हैं और उठा रहे हैं।

 संवत् 2022 में भगवती भागीरथी के पुनीत तटपर वे देह त्यागकर ब्रह्मलीन हो गये। इससे अब उनके नये वचनों का साक्षात्-रूप से प्राप्त करना हम सबके लिये असम्भव हो गया है। यह वास्तवमें बहुत-बहुत हानि है।

पर इसके लिये हम सभी निरुपाय हैं। श्रीगोयन्दकाजी के द्वारा लिखे हुए पुराने पत्रों तथा उनके भाषणों से, रेकार्डों से कुछ उपयोगी सामग्री का संकलन करके उसके प्रकाशन का विचार चल रहा है।

भगवान् की कृपा से ऐसा हो सकता तो इस साहित्य के प्रेमी पाठक-पाठिकाओं की सेवा में सम्भवतः कुछ साहित्य प्रस्तुत किया जा सकता है। इस छोटे-से ग्रन्थ—‘आत्मोद्धार के सरल उपाय’ से सब लोग लाभ उठावें—यह विनीत प्रार्थना है।

निवेदक
हनुमान प्रसाद पोद्दार


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