भारतीय जीवन और दर्शन >> अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचित अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचितसुबोधचन्द्र पंत
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कालिदास के प्रंसग में विक्रमादित्य के नवरत्नों का यदि पाठकों को परिचय
दे दिया जाय तो इससे उनके ज्ञान में वृद्धि ही होगी। उनके नवरत्न थे-
धन्वन्तरि
नवरत्नों में इनका स्थान गिनाया गया है। इनके रचित नौ ग्रन्थ पाये जाते
हैं। वे सभी आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र से सम्बन्धित हैं। चिकित्सा में ये
बड़े सिद्धहस्त थे। आज भी किसी वैद्य की प्रशंसा करनी हो तो उसकी
'धन्वन्तरि' से उपमा दी जाती है।
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