भारतीय जीवन और दर्शन >> अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचित अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचितसुबोधचन्द्र पंत
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क्षपणक
जैसा कि इनके नाम से प्रतीत होता है, ये बौद्ध संन्यासी थे।
इससे एक बात यह भी सिद्ध होती है कि प्राचीन काल में मन्त्रित्व आजीविका
का साधन नहीं था अपितु जनकल्याण की भावना से मन्त्रिपरिषद का गठन किया
जाता था। यही कारण है कि संन्यासी भी मन्त्रिमण्डल के सदस्य होते थे।
इन्होंने कुछ ग्रन्थ लिखे जिनमें 'भिक्षाटन' और 'नानार्थकोश' ही उपलब्ध
बताये जाते हैं।
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