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गीता प्रेस, गोरखपुर >> साधना पथ

साधना पथ

जयदयाल गोयन्दका

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1167
आईएसबीएन :81-293-0987-4

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इसमें प्रभु को प्राप्त करने के संबंध में हर तरह के सूक्ष्म विचार प्रस्तुत किये गये है। ध्यान और नामजप के अन्तर्गत साधना के महत्व और उसकी विधियों का विस्तृत उल्लेख किया गया है...

Sadhana Path -A Hindi Book BY Jaydayal Goyandaka -साधना पथ जयदयाल गोयन्दका

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

निवेदन

ब्रह्मलीन परम श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दका की पुस्तक ‘साधना-पथ’ प्रेमी, भक्त, साधक, गृहस्थ और विरक्त सभी प्रकार के आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के हाथों में समर्पित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है।

प्रस्तुत पुस्तक श्रीजयदयालजी गोयन्दका के कई प्रवचनों का संग्रह है, जिसमें प्रभु को प्राप्त करने के संबंध में हर तरह से सूक्ष्म विचार किया गया है। ‘ध्यान और नामजप’ शीर्षक के अन्तर्गत साधना के महत्त्व और उसकी विधियों का विस्तृत उल्लेख है। ध्यानयोग का अभ्यास करने वाले साधकों के लिए यह लेख बहुत उपयोगी है।

 ‘साधन और निष्ठा’ में ‘साधन’ की सफलता के लिये ‘निष्ठा’ की अपरिहार्य आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया है। ‘प्रेमी भक्त की स्थिति’ और ‘प्रभु का सौन्दर्य’-इन लेखों में भक्ति-रस की धारा प्रवाहित हुई है। इस पुस्तक में और भी बहुत-से महत्त्वपूर्ण प्रवचन हैं। भक्त और ज्ञानी; गृहस्थ और विरक्त सभी प्रकार के साधकों के लिये उपयोगी सामग्री इस पुस्तक में समाहित है।

आशा है कि सभी पाठक पुस्तक में दी हुई मार्मिक बातों से अवश्य ही लाभान्वित होंगे।

-प्रकाशक

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