लोगों की राय

रहस्य-रोमांच >> घर का भेदी

घर का भेदी

सुरेन्द्र मोहन पाठक

प्रकाशक : ठाकुर प्रसाद एण्ड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :280
मुखपृष्ठ : पेपर बैक
पुस्तक क्रमांक : 12544
आईएसबीएन :1234567890123

Like this Hindi book 0

अखबार वाला या ब्लैकमेलर?


क्या? तुमने नहीं फाड़ा? ओह हां। हां। तुमने तो कहा था कि तुमने उन दोनों की सूरत तक नहीं देखी थी। लेकिन फिर उन्हें इस बात की खबर कैसे लगी? मेरा नाम तक ही कैसे जान पाये वो?....
क्या? इन्स्पेक्टर जानता था! तुम्हारे बताये बिना जानता था! सत्यानाश!....
यानी कि उन दोनों ने हमारे अफेयर की बाबत और मेरी वाबत पुलिस.से जाना?....
डबल सत्यानाश! फिर तो मेरी भलाई इसी में है कि मैं चन्द दिनों के लिये कहीं खिसक जाऊं। पुलिस से आमना सामना होने से पहले ही कहीं खिसक जाऊं। और राजीव को भी खिसका दूं?....
क्या? उसे किलिये? उसकी भी कोई वजह है, जिसे कि मैं फोन पर नहीं समझा सकता। मैं राजीव को मौसी के पास तारकपुर भेज दूंगा और खुद कहां जाऊंगा, पहला मौका हाथ लगते ही तुम्हें खबर कर दूँगा। फिर जब इस बखेड़े से फारिग हो जाओ तो वहां चली आना। भले ही एक रात के लिये आना। चन्द घन्टों के लिये ही आओगी, तो भी चलेगा। उतने में ही मैं...."
वो एक कुत्सित हंसी हंसा।
"ठीक है?"
फिर आवाज आयी-- “गुड । लेकिन जब वो नौबत आये तो एक बात का खास खयाल रखना। कोई तुम्हारा पीछा न करने पाये। और अन्डर-गार्मेन्ट्स काले रंग के पहन के आना। भई, मातम में हो न, इसलिये।"
फिर एक कुत्सित हंसी।
“अब एक बात साफ साफ बता दो। क्या तुम्हारे मन में अभी भी उस इन्स्पेक्टर के लिये जगह है?....
नहीं?....क्या? पता. नहीं?....भई, एक जवाब दो। नहीं या पता नहीं?....
ओह! यानी कि दाल में कुछ काला है। बतरा के चंगुल से आजाद होते ही पुरानी मुहब्बत जोर मारने लगी है। यानी कि दोनों तरफ है आग बराबर लगी हुई!..तो फिर ये कत्ल भी तो कहीं तुम्हारी और पुरान यार की कोई मिलीभगत ही तो नहीं? कहीं उस पुलिस वाले से मिलकर तुम्हीं मेरे खिलाफ कोई षड्यन्त्र तो नहीं कर रही हो?....
क्या कहा? मैं पागल हूं? ठीक है, पागल ही सही लेकिन एक बात जान लो। वो इन्स्पेक्टर मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।...क्या कहा? फिर भाग क्यों रहा हूं?....वो, वो तुम नही समझोगी। और सच पूछो तो तुम्हारी भी इसी में भलाई है। जब तक बत्तरा का कातिल पकड़ा नहीं जाता, तब तक मेरे कहीं गायब हो जाने में ही हम दोनों की भलाई है। कातिल पकड़ा जायेगा तो फिर किसी को परवाह नहीं होगी कि मैं एकाएक कहां गायब हो गया था!....क्या? अरे, भई, मैं कातिल नहीं हूं। इस बाबत मैं ज्यादा कुछ कहूंगा तो वो तुम्हें अपनी तौहीन लगेगी।....कातिल यकीनन तुम्हारे पति की ब्लैकमेल का सताया हुआ कोई शख्स है, जिसे पुलिस देर-सबेर खोज ही निकालेगी। पुलिस शर्तिया उन तमाम लोगों को टटोलेगी जिनके घर का भेदी तुम्हारा पति बना हुआ था।....क्या?....नहीं मेरी जान, ये बात छुपी नहीं रहने वाली कि बतरा ब्लैकमेलर था। वो कोठी, नौकर-चाकर, कारें, ऐशभरा रहनसहन, ये तमाम बातें ही इस बात की चुगली कर देंगी कि बतरा को हराम का मोटा माल हासिल था।....अजी छोडो।
सालोंसाल फिल्मों के लिये लिखते रहने वालों को इतना पैसा हासिल नहीं होता और तुम कहती हो कि उसे एक ही फिल्म लिख कर हासिल हो गया। माई डियर, वो यकीनन ब्लैकमेलर था।....क्या?....ठीक है। ऐसे है तो ऐसे ही सही।"
उसने रिसीवर क्रेडल पर पटक दिया और भुनभुनाया "स्साली!"
सुनील उठ कर सीधा हुआ। उसने रमाकान्त की बांह पकड़ी और लिफ्ट की तरफ बढ़ा।
“रमाकान्त, ये आदमी खिसक जाने की तैयारी कर रहा है।" -सुनील बोला-"ये अपने भाई को भी तारकपुर में रहती अपनी किसी मौसी के पास भेज रहा है। ऐसा इन्तजाम कर सकते हो कि हमें दोनों की खबर हो कि ये खिसक कर कहां गये?" ।
"वो तो मैं कर दूंगा लेकिन ये खिसक क्यों रहा है?"
"वो टेलीफोन पर एक वाहियात वजह भावना बतरा को बता रहा था लेकिन असल वजह एक ही हो सकती है।"
"क्या?"
“यही कि उसकी आकाशवाणी से ब्राडकास्ट वाली एलीबाई उतनी दमदार नहीं जितनी दमदार होने का वो दम भरता है।"
“ओह!"
“और जरूर उसएलीबाई की किसी पोल से उसका भाई भी वाकिफ है इसलिये वो उसे भी खिसका रहा है।"
"लेकिन मालको, उनके खिसक जाने से क्या होता है? इस . बात की तसदीक तो रेडियो स्टेशन से भी की जा सकती है कि रात नौ बजे से दस बजे तक वो वहां था या नहीं!"
“वो भी करेंगे। लेकिन हमें ये भी मालूम होना चाहिये कि वो दोनों भाई खिसक कर कहां पहुंचे?"
"मालूम होगा, प्यारयो, जरूर मालूम होगा। तुम अपना मोबाइल इधर करो ताकि मैं क्लब में जौहरी को फोन लगा सकूँ।"
सुनील ने फोन उसे थमा दिया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai