रहस्य-रोमांच >> घर का भेदी घर का भेदीसुरेन्द्र मोहन पाठक
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अखबार वाला या ब्लैकमेलर?
“क्यों? अगर उसने सच में ही कत्ल किया होगा तो फिर ज्यादती कैसी?"
“नहीं, नहीं। वो कातिल नहीं हो सकता। कुछ कहना और बात होती है, कहे को कर
दिखाना और बात होती है।"
“जो कारनामा वो छोटे लैवल-पर कर सकता था, उसे वो बड़े लैवल पर क्यों नहीं कर
सकता था? वो बतरा पर कातिलाना हमला कर सकता था तो कत्ल क्यों नहीं कर सकता
था?" .
"किसी को घूँसा जमा देना कातिलाना हमला नहीं कहलाता।"
"कहलाता है। असल में ये बात घूँसे वाले पर निर्भर करती है। ऐसा बहुत बार हो
चुका है कि किसी के एक ही घूँसे ने किसी के प्राण ले लिये हों।"
“जीजा जी को कुछ नहीं हुआ था।"
“जो कि उनकी खुशकिस्मती थीं। बहरहाल पुलिस को जब वो बात पता लगेगी तो वो यही
कहेगी कि उसका पहला हमला नाकाम रहा था इसलिये उसने दूसरी, कामयाब, कोशिश की
थी।"
“पुलिस को वो....वो पहले वाली बात नहीं मालूम होगी।" .
"कैसे नहीं मालूम होगी? वो खुद ही भजता फिरता है कि कैसे उसके एक ही घूंसे ने
बतरा को धूल चटा दी थी।"
“पागल है साला! पागल और शेखीखोरा।" .
“तुम एक मिनट जरा ट्रैक्र चेंज करो और मुझे संजीव सूरी की बाबत कुछ बताओ।
कैसा आदमी है वो?"
“मुझे तो पसंद नहीं। दीदी को पता नहीं क्या दिखाई देता है उसमें"
"क्या उसे सच में भावना से मुहब्बत है?"
"भई, उसे तो शहर की हर खूबसूरत और नौजवान औरत " से मुहब्बत है। शहर का नम्बर
वन जिगोलो (GIGOLO) है वो।"
"यानी कि पैसा हथियाने के लिये औरतों से यारी करता है?".
"हां, लेकिन अपनी बुरी नीयत को ऐसे ताने बाने में बुन कर पेश करता है कि देने
वाली को रत्ती भर अहसास नहीं होता कि असल में पैसा उससे हथियाया जा रहा था,
झटका जा रहा था, ठगा जा रहा था।"
"भावना को भी ऐसी थूक लगा चुका है?"
"कई बार। ये बहाना बना कर कि वो अपना रिकार्डिंग स्टूडियो स्थापित करने की
कोशिश कर रहा था जिसके लिये उसे कर्जे के तौर पर माली इमदाद की जरूरत थी।" .
“कर्जा ?"
"अजी, कैसा कर्जा! सब कहने की बातें हैं। उल्लू बनाने की बातें हैं। और भावना
जैसी औरतें बनती हैं। समझती हैं कि एक नोबल काज को कन्ट्रीब्यूट कर रही हैं।"
“आई सी।" .
"वो यारी करता ही ऐसी शादीशुदा औरतों से है जिनके हसबैंड के पल्ले पैसा हो और
जिनकी शादी ठीक ठीक न चल रही हो।"
"जैसी भावना थी।"
"बिल्कुल। अब देखना कैसे कन्नी काटेगा वो भावना से।"
"क्यों भला?"
"क्योंकि अब वो विधवा है और आजाद है। वो ऐसी औरत से नहीं बंधा रहने वाला जो
कि शादी की जिद कर सकती हो।"
“लेकिन ऐसी औरत तो उसके पैसा ऐंठने के मिशन को ज्यादा कामयाब बना सकती है।
मिसाल अपनी बहन की ही लो। पैसे के मामले में पहले वो अपने पति की मोहताज थी
इसलिये पहले पैसे की सप्लाई लाइन कभी भी कट सकती थी या उस पर अंकुश लग सकता
था। अब तो वो एक धनाढ्य विधवा है, शादी जिसके माल पर काबिज होने का जरिया बन
सकता है।"
"क्या पता उसे एक औरत से बंधना नामंजूर हो। क्या पता वो उसूलन शादी के खिलाफ
हो।"
“या शायद”–अर्जुन बोला-“पहले से शादीशुदा हो।"
"वो हो सकता है शादीशुदा?" -सुनील ने पूछा।
"रहता तो अकेला है।" -संचिता बोली-"बस,छोटा भाई साथ रहता है।"
"तुमने खुद ही कहा कि वो जिगोलो है। ऐसे परजीवी व्यक्ति तो अपनी बीवियों को
सात पर्दों में छुपा कर रखते होंगे।"
"हो सकता है।"
"क्या वो बतरा का कातिल हो सकता है?"
"खामखाह! उसका जीजा जी से क्या लेना देना था?"
"लेकिन जीजी जी से लेना देना था।"
"मिस्टर, भावना की वजह से अगर कोई ऐसे हालात पैदा हो जाते जिनमें जीजाजी का
कत्ल जरूरी होता तो वो भावना से ही किनारा कर लेता।"
"यानी कि नहीं हो सकता।"
"मेरे खयाल से तो नहीं हो सकता। जैसे प्रेम त्रिकोण वो शख्स बना के रखता है,
उनमें उसके दखल की वजह से कभी कत्ल होगा तो खुद उसी का होगा।"
"वैरी वैल सैड।"
"मैं अब चलती हूं।"-एकाएक वो मोटरसाइकल की सीट से नीचे उतरती हुई बोली।
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