रहस्य-रोमांच >> घर का भेदी घर का भेदीसुरेन्द्र मोहन पाठक
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अखबार वाला या ब्लैकमेलर?
“ऐसी ही बात है। मैं क्या तुम्हें जानता नहीं!"
"नहीं है। उल्टे पुलिस ने ही ये रवैया अपनाया हुआ है कि जो बात किसी केस की
उन की पसन्दीदा थ्योरी के खिलाफ जाये, उसे नजरअन्दाज कर दो और जो बात हक में
जाती दिखाई दे, उसका ढोल पीटो।"
"तुम एकाएक सूरी के हिमायती क्यों बन बैठे हो?"
"मैं नहीं हूं उसका हिमायती लेकिन..."
"तुम ये कहना चाहते हो कि कत्ल निरंजन चोपड़ा ने किया और रिवॉल्वर ले जाकर
सूरी के फ्लैट में रख दी?"
"कहना तो चाहता हूं लेकिन फायदा क्या होगा कहने का? ज्यों ही मैं ये रुख
अख्तियार करूंगा, आप लोग ये साबित कर दिखायेंगे कि फलां वजह से निरंजन चोपड़ा
ने ऐसा नहीं किया हो सकता था।"
प्रभुदयाल हंसा।
"मर्डर वैपन की तलाश में पुलिस की नजरे इनायत सूरी के घर पर ही क्यों हुई?"
"ये भी कोई पूछने की बात है! क्योंकि उसके गुनाह की तरफ इशारा करने वाली और
भी बातें थीं हमारे पास।"
"वो रिवॉल्वर उसकी तो नहीं थी। क्यों वो उसे कत्ल के बाद भी अपने पास रखे
रहा?"
"होगी कोई वजह। मालूम कर लेंगे। उसी से कुबुलवा लेंगे।"
"उसके लिये रिवॉल्वर अपने घर ले जाना ही क्यों जरूरी था?
वो रिवॉल्वर मकतूल की मिल्कियत थी। अगर सूरी ने कत्ल किया था तो क्यों वो उसे
मौकायवारदात पर ही न फेंक गया?
क्यों उसने उससे अपने घर के रास्ते में कहीं पीछा न छुड़ा लिया?"
क्योंकि उसकी शामत आनी थी। क्योंकि हर कातिल से कोई न कोई कोताही हो के रहती
है। सारे कातिल सौ फीसदी चाकचौबंद हो जायें तो फिर तो कोई पकड़ा ही न जाये।"
"इसी के लिये कहा गया है कि"-चानना बोला "विनाशकाले विपरीत बुद्धि।"
"कत्ल का कोई उद्देश्य भी तो होता है!"
"वो तो इस केस में सबसे ज्यादा दमदार है।"
"क्या?"
"जर और जन दोनों। बाजरिया भावना, बतरा की हराम की दौलत पर काबिज होना था कत्ल
का उद्देश्य । भावना सूरी से पूरी तरह से फंसी हुई थी, बतरा न रहता तो वो
बतरा की दौलत की वारिस होती और सूरी भावना से शादी करके वो दौलत अपने काबू
में कर लेता।"
“दिस इज ए क्राइम”-प्रभुदयाल बोला- “एक्चुएटिड बाई लस्ट एण्ड ग्रीड।"
“मैं सूरी से मिला था।”-सुनील बोला-"मुझे वो शादी करने का अभिलाषी आदमी नहीं
लगा था।"
."क्यों नहीं लगा था?"
“जरूर इसीलिये क्योंकि वो कली-कली का रस चूसने वाला भंवरा है, कोई और वजह भी
हो सकती है जो कि मुझे मालूम नहीं लेकिन कम से कम इस बात को तो वो अपनी
जुबानी कुबूल करता था। जनाब, वो किसी औरत की चाहत में उसके पति का कत्ल करने
वाली किस्म का आदमी नहीं है।"
“पहले नहीं होगा तो अब बन गया होगा। और फिर ये न भूलो कि पति कोई आम पति नहीं
था। वो एक दौलतमन्द पति था जिसकी इकलौती वारिस उसकी बीवी थी।"
"वो अपनी जुबानी कहता था कि...".
“कहता होगा। जरूर कहता होगा। लेकिन किसलिये? अपने पर से फोकस हटाने के लिये ।
सुनने वाले को गुमराह करने के लिये। ऐसे टॉप के हरामियों का इन बातों में
दिमाग बहुत चलता है।
"लेकिन...."
“अब छोड़ो लेकिन वेकिन और चानना की बात सुनो, जो कि अभी खत्म नहीं हुई है।"
"सुनाइये, जनाब।"-सुनील चानना की तरफ घूम कर बोला- “वो माल भी दिखाइये जो अलग
बांध के रखा है।"
“वो स्पेशल माल संजीव सूरी की एलीबाई है"-चानना बोला-"जिसे कि बहुत मजबूत
बताया गया था।"
"वो भी टूट गयी?"
“धज्जियां उड़ गयीं। वो तभी तक चली जब तक कि सूरी गिरफ्तार नहीं हआ था और
उसके फ्लैट से मर्डर वैपन नहीं बरामद हुआ था। हमने सूरी को तो कुछ न कहा
लेकिन रेडियो स्टेशन पर जाकर जरा सख्ती बरती तो उसके स्टूडियो नम्बर पांच के
साउन्ड इंजीनियर ने सब कुछ बक दिया। अब उस मजूमदार नाम के साउन्ड इंजीनियर का
ये इकबालिया बयान हमारे पास दर्ज है कि बतरा के कत्ल के रोज वाले 'ए डेट विद
यू' नाम के प्रोग्राम का ब्राडकास्ट संजीव सूरी ने नहीं, उसके छोटे भाई राजीव
सूरी ने किया था जिसकी काफी कुछ आवाज बड़े भाई से मिलती है और काफी वो वैसी
बना लेता है, जिसका कुल जमा नतीजा होता है कि किसी सुनने वाले को पता नहीं
चलता कि वो प्रोग्राम फेमस डिस्क जाकी संजीव सूरी नहीं, कोई और दे रहा था।
स्टूडियो में सिर्फ साउन्ड इंजीनियर मजूमदार ही वो शख्स होता था जिससे कि ये
बात छुपी नहीं रह सकती थी और जिसको खामोश रखने की एवज में सूरी ने उसके लिये
हर मर्तबा एक स्काच विस्की की बोतल की रिश्वत मुकर्रर की हुई थी। इस बार भी
मजूमदार ने सूरी को एलीबाई देने की भरपूर कोशिश की थी लेकिन पुलिस के साथ वो
मुतवातर झूठ बोलता नहीं रह सका था। नतीजतन सूरी की कथित बड़ी मजबूत एलीबाई की
धज्जियां उड़ गयी थीं।"
"फिर रही सही कसर तब पूरी हो गयी"-प्रभुदयाल संतोषपूर्ण स्वर में बोला- “जबकि
वो छोकरा भी हमारे काबू में आ गया।"
“छोकरा!”–सुनील सकपकाया- “यानी कि छोटा भाई राजीव?"
"हां"
"वो कैसे काबू में आया?"
“चानना से ही सुनो।"
"हमने"-चानना बोला-“उस टैक्सी ड्राइवर को खोज निकाला था जो कि रात के एक बजे
सूरी के फ्लैट से हुई टेलीफोन काल के जवाब में लिंक रोड पहुंचा था। फिर ये
मालूम हो जाना क्या मुश्किल काम था कि वो अपनी इतनी रात की इकलौती सवारी को,
यानी कि राजीव सूरी को, कहां छोड़ कर आया था!"
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