रहस्य-रोमांच >> घर का भेदी घर का भेदीसुरेन्द्र मोहन पाठक
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अखबार वाला या ब्लैकमेलर?
सुनील खामोश रहा।
"और फिर कोई जुबानी जमाखर्च ही नहीं हो रहा यहां। सबूत है हमारे पास उसके
खिलाफ!".......
"क्या सबूत है?"
"सुनो। उस रात जब मैंने भावना से उसकी बाबत सवाल किया था तो भावना ने कहा था
कि वो वहां नहीं आया था। लेकिन मेरे उससे अलग होते ही उसने सूरी को फोन किया
था और उसे चेताया था कि चाहे तबाही आ जाये, उसने ये नहीं कहना था कि उस शाम
को उसने कोठी में कदम रखा था।"
“तुम्हें कैसे मालूम?" --सुनील के मुंह से निकला।
“मुझे उम्मीद थी कि वो इस बाबत सूरी को फोन पर खबरदार करेगी । मुझे ये भी
मालूम था कि नीचे हाल में सीढ़ियों के पास जो टेलीफोन है वो ऊपर वाले फोन के
साथ पैरेलल में चलता था। उस फोन के जरिये मैंने अपने कानों से भावना को सूरी
से बात करते सुना था।"
"ग्रेट!"-सनील प्रशंसात्मक स्वर में बोला- "जस्ट ग्रेट!"
“इससे ये स्थापित हो गया कि उस शाम को वो मौकायवारदात पर पहुंचा था?"
"हां" .
"फिर कल रातोंरात वो अपने घर से फरार हो गया। उसने अपने भाई को भी कहीं खिसका
दिया।"
"फ्लाइट इज एन एवीडेंस आफ गिल्ट।"-प्रभुदयाल बोला।
“नम्बर तीन-चानना बोला-"सर्च वारन्ट जारी कराकर जब उसके घर की तलाशी ली गयी
तो आलायकत्ल, मर्डर वैपन, मकतूल की अपनी मिल्कियत उसकी बत्तीस कैलीवर की हाथी
दांत की मूठ वाली गुमशुदा रिवॉल्वर उसके फ्लैट से बरामद हुई।"
"क्या!" -सुनील बुरी तरह चौंका।
"ये बात हमारा बैलेस्टिक एक्सपर्ट स्थापित भी कर चुका है कि कत्ल उसी
रिवॉल्वर से निकली गोली से हुआ था।"
"हे भगवान! क्या अभी तक आप दोनों साहबान मेरे साथ चूहे बिल्ली का खेल खेल रहे
थे?" ।
था तो ऐसा ही।"-प्रभुदयाल बोला- "तुम अक्सर हमें अपनी सुनीलियन पुड़िया देते
रहते हो। सोचा, एक बार हम भी तुम्हें सरकारी पुड़िया दे कर देखें।"
"खूब खुश्की उड़ाई मेरी।"
और फिर हम ये भी देखना चाहते थे कि बतौर कातिल अपने पसन्दीदा कैन्डीडेट के
खिलाफ तुम किस हद तक बोल सकते थे।"
"तौबा!"
यूँ तुम्हारे खयालात का पता चल गया। निरंजन चोपड़ा की .बाबत अपनी थ्योरी में
अब तुम ये करेक्शन लगा सकते हो कि उसने किसी तरीके से बतरा की रिवॉल्वर चुरा
कर कत्ल किया था और फिर आलायकत्ल को संजीव सूरी के फ्लैट में छुपा आया था।"
“क्या नहीं हो सकता ऐसा?" -सुनील बड़ी संजीदगी से बोला।
प्रभुदयाल ने घूर कर उसे देखा।
सुनील ने उसके घूरने की परवाह न की, वो चानना से मुखातिब हुआ--"सूरी के फ्लैट
में रिवॉल्वर कहां से बरामद हुई?"
“कहीं से भी हुई"-चानना लापरवाही से बोला-"इंपॉर्टेंट बात ये है कि हुई।"
“कहां से?"
“बेडरूम में उसके तकिये के नीचे से।"
"जहां कि उसने रिवॉल्वर छुपाई हुई थी?"
"हां।"
“और जहां से बड़ी आसानी से वो आप लोगों के हाथ लग गयी थी?"
"जाहिर है।" .
"रिवॉल्वर छुपाने के लिये वो माकूल जगह थी आप की निगाह में?"
"क्या मतलब?"
“कोई चीज कहीं रखने में और उसे कहीं छुपाने में फर्क होता : है। चीज रखी कहीं
भी जा सकती है, छुपायी खास जगह जाती है। वो रिवॉल्वर मर्डर वैपन थी, अव्वल तो
उसे वहां होना ही नहीं चाहिये था..."
- "क्यों नहीं होना चाहिये था?"
"क्यों होना चाहिये था? रिवॉल्वर सूरी की तो नहीं थी? जिस काम के लिये सूरी
ने रिवॉल्वर को हथियाया था, उसके मुकम्मल हो जाने के बाद क्यों जरूरी था उसके
लिये उस रिवॉल्वर को अपने पास भी रखना? क्यों न उसने उसे कत्ल के बाद
मौकायवारदात पर ही फेंक दिया या रास्ते में कहीं ऐसी जगह फेंक दिया जहां से
कि वो सात जन्म बरामद न हो पाती? क्यों वो उसे अपने फ्लैट पर लाया और लाकर
ऐसी जगह रखा जो कि इतनी खतरनाक चीज छुपाने के लिये कतई मुनासिब नहीं थी।
रिवॉल्वर से उसका कोई खास मोह था तो वो उसे किसी ऐसी जगह छुपाता...."
“वो कहीं भी छुपाता, बरामद हो जाती।"
"कबूल । लेकिन उसने तो यूं छुपायी जैसे छुपाना ही न चाहता हो, यूं छुपायी
जैसे रिवॉल्वर ही आवाज देकर बुला रही हो कि पुलिस वाले भाई साहब, मेरी तलाश
में किसी आटे के कनस्तर में, किसी कचरे के ड्रम में झांकने की जरूरत नहीं है,
मैं तो आपके इन्तजार में बांहें फैलाये, पलक पांवड़े पसारे यहां बेडरूम में
तकिये के नीचे रखी हुई हूं।"
"क्या मतलब है भई तुम्हारा?"
"मेरा मतलब साफ है। वो रिवॉल्वर सूरी की गैरहाजिरी में वहां प्लांट की गयी थी
और जानबूझ कर ऐसी जगह रखी गयी थी जहां से कोई अंधा भी उसे बरामद कर लेता।"
"रिपोर्टर साहब"-प्रभुदयाल बोला- “तुम्हारी हर बात मोटिवेटिड है। तुमने कमर
कसी मालूम होती है हर उस बात की मुखालफत करने की जो कि निरंजन चोपड़ा के
खिलाफ न जाती हो और उस बात को हवा देने की जो कि उसके खिलाफ जाती हो और उसे
मुजरिम साबित कर सकती हो।"
"ऐसी कोई बात नहीं।"
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