लोगों की राय
उपन्यास >>
गोदान
गोदान
प्रकाशक :
लोकभारती प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2014 |
पृष्ठ :370
मुखपृष्ठ :
सजिल्द
|
पुस्तक क्रमांक : 13112
|
आईएसबीएन :0 |
 |
|
0
|
प्रस्तुत पुस्तक में अधिकारी विद्वानों द्वारा ‘गोदान’ कृति की प्रासंगिकता पर अपने विचार प्रस्तुत करने के साथ- साथ उसके कला-पक्षों का सटीक मूल्यांकन किया गया है
‘गोदान’ आज भी हिंदी समीक्षकों के लिए एक चुनौती है। यह बात नहीं कि प्रेमचंद की इस सर्वश्रेष्ठ कृति को लेकर समीक्षकों ने कम लिखा है। इस पर मान्य आलोचकों द्वारा लिखे विभिन्न लेख प्राप्य हैं और विद्वानों द्वारा प्रस्तुत अनेक शोध-प्रबंध भी उपलब्ध हैं; पर इन आलोचनाओं का स्वर मूलतः विवरणात्मक है और समीक्षा-दृष्टि, कथा-सामग्री के विविध पक्षों के बाह्यरूप-चित्रण पर ही अटककर सीमित रह गई है।
प्रस्तुत पुस्तक में अधिकारी विद्वानों द्वारा ‘गोदान’ कृति की प्रासंगिकता पर अपने विचार प्रस्तुत करने के साथ- साथ उसके कला-पक्षों का सटीक मूल्यांकन किया गया है।
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai