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उपन्यास >> क्यों फ़ँसें!

क्यों फ़ँसें!

यशपाल

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13183
आईएसबीएन :9788180314858

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वैचारिक निष्ठा के आधार पर समाज और संबंधों का विश्लेषण अक्सर ही यशपाल के उपन्यासों का विषय रहा है

वैचारिक निष्ठा के आधार पर समाज और संबंधों का विश्लेषण अक्सर ही यशपाल के उपन्यासों का विषय रहा है। लेखक के रूप में उनकी मान्यता थी कि साहित्य का उद्देश्य केवल मनोरंजन और प्रचलित मूल्यों का पिश्त्पोषण नहीं, बल्कि उनके ऊपर प्रश्न उठाना और परिवर्तन को बल प्रदान करना है। 'क्यों फँसे' उपन्यास स्त्री-पुरुष संबंधों की जटिल दुनिया का अन्वेषण है। अट्ठाईस वर्षीय युवा पत्रकार और मोती के रति-संबंधों को आधार बनाकर लिखा गया यह वृत्तान्त स्त्री और पुरुष के रिश्तों में एक नई दिशा को खोजने की कोशिश करता है, और हमारे सामने विचार के लिए कई प्रश्न छोड़ जाता है।

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