लोगों की राय

उपन्यास >> निर्मला

निर्मला

प्रेमचंद

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13229
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

अपने वक्त के सच को पेश करने का प्रेमचन्द का जो नजरिया था, वह आज के लिए भी माकूल है

अपने वक्त के सच को पेश करने का प्रेमचन्द का जो नजरिया था, वह आज के लिए भी माकूल है। गरीबों और सताये गये लोगों के बारे में उन्होंने किसी तमाशबीन की तरह नहीं, एक साझीदार की तरहसे लिखा।
-फैज अहमद फैज समाज-सुधारक प्रेमचन्द से कलाकार प्रेमचन्द का स्थान कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। उनका लक्ष्य जिस सामाजिक संघर्ष और प्रवर्तन का चित्रित करना रहा है, उसमें वह सफल हुएहैं।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai