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उपन्यास >> प्रेमाश्रम

प्रेमाश्रम

प्रेमचंद

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :340
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 13251
आईएसबीएन :9788192434629

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अपने वक्त के सच को पेश करने का प्रेमचन्द का जो नजरिया था, वह आज के लिए भी माकूल है

अपने वक्त के सच को पेश करने का प्रेमचन्द का जो नजरिया था, वह आज के लिए भी माकूल है। गरीबों और सताये गये लोगों के बारे में उन्होंने किसी तमाशबीन की तरह नहीं, एक साझीदार की तरह से लिखा।
-फैज अहमद फैज

समाज-सुधारक प्रेमचन्द से कलाकार प्रेमचन्द का स्थान कम महत्वपूर्ण नहीं है। उनका लक्ष्य जिस सामाजिक संघर्ष और प्रवर्तन का चित्रित करना रहा है, उसमें वह सफल हुए हैं।
-डॉ. रामविलास शर्मा

कलम के फील्ड मार्शल, अपने इस महान पुरखे को दिल में अदब से झुककर और गर्व से मैं रॉयल सैल्‍यूट देता हूँ।
- अमृतलाल नागर

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