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सेवासदन
सेवासदन
प्रकाशक :
लोकभारती प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2014 |
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ :
सजिल्द
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पुस्तक क्रमांक : 13305
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आईएसबीएन :9788180318924 |
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प्रेमचन्द का साहित्य साहित्य किसान को, साधारण जनता को, उनके साथ काम करने वाले बुद्धिजीवियों को सबक देता है
कलम के फील्ड मार्शल, अपने इस महान पुरखे को दिल में अदब से झुककर और गर्व से मैं रॉयल सैल्युट देता हूँ।
-अमृतलाल नागर
प्रेमचन्द का साहित्य केवल गाँधीवाद की शिक्षा नहीं देता, केवल स्वाधीनता की लड़ाई की कहानी नहीं कहता। उनका साहित्य किसान को, साधारण जनता को, उनके साथ काम करने वाले बुद्धिजीवियों को सबक देता है कि किस तरह जनता को साथ लेकर चलने वाला नेता राष्ट्रप्रेमी, देशप्रेमी और राष्ट्रीयता के लिए संघर्ष करने वाले लोग मूलत: और अन्तत: अपने वर्ग-हित के लिए लड़ते हैं उनके वर्ग-हित पर जब चोट पड़ती है, तो चोला बदल लेते हैं, पाला बदल लेते हैं, बाना बदल लेते हैं, पक्ष बदल लेते हैं और उनके विरुद्ध चले जाते हैं।
-डॉ. नामवर सिंह
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