नाटक-एकाँकी >> दाँतों की मौत दाँतों की मौतजॉर्ज ब्युखनर
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दांतों की मौत' की चर्चा प्राय: नाट्य-रचना संसार के श्रेष्ठतम प्रथम नाटक के रूप में की जाती है ।
दांतों की मौत' की चर्चा प्राय: नाट्य-रचना संसार के श्रेष्ठतम प्रथम नाटक के रूप में की जाती है। इस पर मतभेद हो सकता है परन्तु इस बात को कोई नहीं झुठला सकता कि नाट्य-लेखन के इतिहास में यह किसी भी अंडरग्रैजुएट द्वारा लिखा गया श्रेष्ठतम प्रथम नाटक अवश्य है। जॉर्ज ब्युख़नर अवश्यमेव अपने समय का एक विलक्षण प्रतिभासम्पन्न अंडरग्रैजुएट था। 'दांतौं' की तुरंत प्रभावोत्पादक तथा साथ ही विकर्षण की बात है उसकी दुरूहता व बहुलता, इसके अतिरिक्त एक प्रकार की समरूपता भी। इसे आसानी से नए नाटककार की अनियमित सजीवता गर्दान कर नकारा नहीं जा सकता-जो बहुत से प्रभावों से प्रेरित हो और एक ही बार में बहुत-सी बातें कहने, बहुत से विचारों को पूँछ से पकड़ने का प्रयत्न कर रहा हो। ब्युख़नर के नाटक एक विशाल परिकल्पना लिये हुए हैं। अटक-अटककर चलने के बावजूद वह निरंतर गतिमान रहते हैं। उनके विचार विस्फोटक ढंग से प्रकट होते हैं; और इनका रचयिता महान कलाकारों की तरह, जो जानते हैं कि वह एक दैवी परिहासपूर्ण चुटकुले के भागीदार हैं, बड़ी दक्षता से अपनी रचनाओं को मदारी की तरह नचाता रहता है।
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