लोगों की राय

संचयन >> नागार्जुन रचनावली : खंड 1-7

नागार्जुन रचनावली : खंड 1-7

नागार्जुन

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2003
पृष्ठ :3790
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14080
आईएसबीएन :9788126701513

Like this Hindi book 0

रचनावली के प्रथम खंड में बाबा की उन सभी कविताओं को संकलित किया गया है, जिनका रचनाकाल 1967 ई– तक है।

उनके जीवन के लगभग अड़सठ वर्ष (1929–1997) रचनाकर्म में को समर्पित। कविता, उपन्यास, संस्मरण, यात्रा–वृत्त, निबन्ध, बाल–साहित्य आदि सभी विधाओं में उन्होने लिखा। हिन्दी के अलावा मैथिली, बंगला और संस्कृत में भी उन्होंने न सिर्फ मौलिक रचनाएँ कीं, इन भाषाओं से अनुवाद भी किए। कुछ पत्र–पत्रिकाओं में उन्होंने स्तम्भ लेखन भी किया। रचनावली के प्रथम खंड में बाबा की उन सभी कविताओं को संकलित किया गया है, जिनका रचनाकाल 1967 ई– तक है। ‘युगधारा’, ‘सतरंगे पंखांवाली’, ‘प्यासी पथराई आँखें’, ‘तुमने कहा था’, ‘हजार–हजार बाँहों वाली’, ‘पुरानी जूतियों का कोरस’, ‘रत्नगर्भ’, ‘इस गुब्बारे की छाया में’ तथा ‘भूल जाओ पुराने सपने’µइन संग्रहों से 1967 तक की सभी कविताओं को कालक्रम से यहाँ ले लिया गया है। इसके अलावा नागार्जुन के सर्वाधिक प्रिय कवि कालिदास की रचना ‘मेघदूत’ का उनके द्वारा मुक्तछन्द में किया गया अनुवाद भी इसमें संकलित है। यह अनुवाद 1953 में ‘साप्ताहिक हिन्दुसतान’ के एक ही अंक में प्रकाशित हुआ। इसके बाद 1955 में पुस्तकाकार प्रकाशन के समय इसमें एक लम्बी भूमिका और कुछ पादटिप्पणियाँ भी जोड़ी गर्इं। रचनावली में वह इसी रूप में उपलब्ध है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book