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योग निद्रा

स्वामी सत्यानन्द सरस्वती

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :320
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 145
आईएसबीएन :0

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योग निद्रा मनस और शरीर को अत्यंत अल्प समय में विक्षाम देने के लिए अभूतपूर्व प्रक्रिया है।


योग निद्रा में प्रतीकों का चुनाव


योग निद्रा के शिक्षक को प्रतीकों का चुनाव करने में बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। शिक्षक को उन प्रतीकों का इस्तेमाल करने के पूर्व साधक के मानसिक स्तर को देखना आवश्यक होता है। इस क्रिया में दो प्रकार के प्रतीक होते हैं। प्रथम प्रकार के प्रतीक वे हैं जो हमारे दैनिक जीवन के सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक अनुभवों से सम्बन्धित हैं। ये प्रतीक भिन्न-भिन्न शहरों भिन्न जातियों, भिन्न-भिन्न प्रकार के लोगों के मानसिक स्तर के अनुकूल होने चाहिए। जैसे, किसी एक संस्कृति के प्रतीक दूसरी संस्कृति व सभ्यता वालों के लिए व्यर्थ भी हो सकते हैं, क्योंकि उनका मन भिन्न प्रकार के प्रतीकों व चिह्नों का अभ्यस्त है। अतः प्रतीकों का चुनाव संस्कृति व वातावरण के अनुकूल होना चाहिए।

इस अवस्था में कुछ प्रतीक ऐसे हैं जो सभी के लिये उपयोगी हैं (जुंग ने भी इनका वर्णन किया है), जैसे, मंत्र, यंत्र और मण्डल, जो हर आयु के सभी व्यक्तियों के अंदर निहित हैं, चाहे वह स्त्री हो, पुरुष हो अथवा बिल्कुल बच्चा हो। ये प्रतीक समाज, धर्म, संस्कृति एवं परम्परा से अप्रभावित व अछुते रहते हैं। अतः सभी व्यक्तियों पर समान रूप से प्रभावकारी सिद्ध होते हैं। ये प्रतीक अवचेतन मन के संग्रह में अपने रंग-रूप व आकार सहित स्थित रहते हैं। अत: इस भाग में ये प्रतीक अपना प्रभाव दिखाते हैं। इसलिए शिक्षक को प्रतीकों के प्रति सावधान रहना चाहिये कि अभ्यासी किस वातावरण का है अथवा किस प्रकार के चिह्न उसे प्रभावित कर सकेंगे।

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