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योग निद्रा

स्वामी सत्यानन्द सरस्वती

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :320
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 145
आईएसबीएन :0

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योग निद्रा मनस और शरीर को अत्यंत अल्प समय में विक्षाम देने के लिए अभूतपूर्व प्रक्रिया है।


नींद में प्राणशक्ति का चमत्कार

नींद में मन अंतर्मुखी हो जाता है एवं परिवर्तित अवस्था में रहता है। इस समय उसका प्राणशक्ति के साथ समझौता होता है। जब नींद आती है तो प्राणशक्ति विभिन्न चक्रों के माध्यम से नीचे आती है और चेतना के स्तर पर पहुँच कर अनुभव की अवस्था में रहती है। ऐसे व्यक्तियों में, जिनका सोते समय चेतना से सम्बन्ध नहीं रहता, स्वप्नावस्था में प्राणशक्ति का कार्य-संचालन मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र में रहता है। वे जाग्रतावस्था में भी स्वप्न देखने का कार्य करते रहते हैं।

कुछ सात्त्विक बुद्धि के लोगों में प्राणशक्ति नींद के समय विशुद्धि में रहती है, जहाँ उन्हें अचेतन के अनुभव होते हैं तथा जब यह अनाहत में रहती है तब उन्हें स्वप्न आते हैं। चक्रों द्वारा उच्चतम आत्मिक अनुभव होते हैं।

जो लोग चेतना की उच्चतम स्थिति पर पहुँच चुके हैं, उनकी प्राणशक्ति नींद में विशुद्धि और अनाहत में नहीं, सहस्रार में निवास करती है तथा स्वप्न के समय आज्ञा चक्र में निवास करती है। तंत्र में नींद और स्वप्न के सम्बन्ध में यही निर्णय दिया गया है।

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