योग >> योग निद्रा योग निद्रास्वामी सत्यानन्द सरस्वती
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योग निद्रा मनस और शरीर को अत्यंत अल्प समय में विक्षाम देने के लिए अभूतपूर्व प्रक्रिया है।
संकल्प
आपको स्वयं अपना संकल्प बहुत सावधानीपूर्वक चुनना चाहिये। संकल्प के शब्द एकदम स्पष्ट व निश्चित होने चाहिये, नहीं तो वह अर्धचेतन मन में प्रवेश नहीं कर पायेगा। हम आगे कुछ ऐसे सकारात्मक और स्पष्ट संकल्पों के उदाहरण दे रहे हैं जिनका उपयोग किया जा सकता है -• मैं अपनी आध्यात्मिक शक्ति को जाग्रत करूँगा।
• मैं दूसरों के विकास के लिए सकारात्मक शक्ति बनूँगा।
• मैं जो भी करूँगा, मुझे उसमें सफलता मिलेगी।
• मैं और अधिक सजग और सूक्ष्म वनूँगा।
• मैं पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त करूँगा।
आप अपनी रुचि और आवश्यकताओं के अनुसार केवल एक संकल्प चुन लीजिये। संकल्प चुनने में अति शीघ्रता मत कीजिये। एक बार चुन लेने के बाद संकल्प को बदलना नहीं चाहिये तथा रातों-रात उससे परिणाम मिलने की आशा भी नहीं करनी चाहिये। परिणाम प्राप्त होने में कुछ समय लगेगा, क्योंकि यह इस बात पर निर्भर रहता है कि संकल्प की प्रकृति क्या है तथा वह किस अवस्था तक मन के अंदर रोपित किया गया है। इसका परिणाम आपकी ईमानदारी और उद्देश्य की प्राप्ति की आवश्यकता पर निर्भर रहता है।
चेतना को घुमाना
चेतना को शरीर के विभिन्न भागों में घुमाना एकाग्रता का अभ्यास नहीं है और न ही इसमें किसी प्रकार की शारीरिक हलचल होती है। अभ्यास के दौरान केवल तीन आवश्यकताएँ पूरी करनी होती हैं - पहली, सजग रहना दूसरी, आवाज को सुनना और तीसरी, मन को बहुत तेजी के साथ निर्देशों के अनुसार घुमाना। जव निर्देशक कहता है, 'दाहिने हाथ का अंगूठा', तब आप भी इसे मानसिक रूप से दोहराइये, दाहिने हाथ के अंगूठे के प्रति सजग हो जाइये और इसी प्रकार आगे बढ़ते जाइये। शरीर के प्रत्येक अंग का मानस-दर्शन करना आवश्यक नहीं है। आपको शरीर के विभिन्न भागों का मानसिक उच्चारण करने के क्रम का उसी प्रकार अभ्यस्त होना पड़ेगा जैसे कि कोई वच्चा वर्णमाला के अक्षरों को दोहराते हुए सीखता है। आपको शरीर के भागों का नाम याद करने की कोई आवश्यकता नहीं, क्योंकि यह प्रक्रिया तो अवचेतन मन में होती है।
शरीर के अंगों का नाम दोहराने का क्रम स्वप्रेरित, सहज और सावधानीपूर्ण होना चाहिये। कुछ लोग योग निद्रा बहुत ही अव्यवस्थित ढंग से सिखलाते हैं। कभी-कभी वे सिर से प्रारंभ करते हैं और पैर की अंगुलियों तक जाते हैं। कभी बायें हाथ के अंगूठे से प्रारंभ करते हैं तो कभी दाहिने हाथ के अंगूठे से, लेकिन योग निद्रा अत्यन्त क्रमबद्ध अभ्यास है।
योग निद्रा के अभ्यास में चेतना एक निश्चित क्रम में घुमाई जाती है। यह क्रिया दाहिने हाथ के अंगूठे से प्रारंभ होती है और दाहिने पैर की छोटी अंगुली पर समाप्त होती है। ठीक इसी क्रम में चेतना को बायें हाथ के अंगूठे से बायें पैर की छोटी अंगुली तक घुमाया जाता है। इसके बाद चेतना एड़ियों से सिर के पिछले हिस्से तक और फिर सिर एवं चेहरे से पैरों तक ले जायी जाती है।
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