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योग निद्रा

स्वामी सत्यानन्द सरस्वती

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :320
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 145
आईएसबीएन :0

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योग निद्रा मनस और शरीर को अत्यंत अल्प समय में विक्षाम देने के लिए अभूतपूर्व प्रक्रिया है।


प्रकारान्तर काल्पनिक अवलोकन - बगीचे या मंदिर के अवलोकन के स्थान पर निम्नांकित अवलोकन कराये जा सकते हैं।

पर्वत - कल्पना कीजिए कि यह प्रातःकाल का समय है। कुछ अंधेरा है और आप पहाड़ पर चढ़ रहे हैं; आप अकेले हैं। आप पूर्व दिशा में चल रहे हैं, परन्तु यदि आप पीछे देखते हैं तो आपको आकाश में चमकता हुआ चन्द्रमा नीचे जाता दिखाई देता है। शीघ्र ही आपको सामने पहाड़ के पीछे से उदय होता हुआ सूर्य दिखाई देता है। दूर घाटी में छोटा-सा गाँव है, अंधेरी रात में वहीं से रोशनी दिखाई दे रही है। मार्ग घुमावदार है और आगे कुछ ढलान है। यह ढलान एक बड़े गोल पत्थर के पास उतरती है। उस पत्थर से एक पुल बँधा हुआ है जिसमें दरारें हैं। दो पहाड़ों के बीच में एक बर्फ का पहाड़ है जिसने दोनों पहाड़ों की चोटियों को ढंक रखा है। आकाश पीला है और उसके पीछे सूर्योदय हो रहा है। आप उस बर्फ पर चढ़कर गुजरते हैं। उस बर्फ पर आवाज सी होती है, जैसे कि आप बर्फ की ऊपरी तह को तोड़ते हैं। एक ग्लेशियर आपके रास्ते में पड़ा है। वहाँ पिघलती बर्फ के कुछ टुकड़े चलते दिखाई देते हैं। आप उन सबको तेजी से पार कर जाते हैं। पास में ही पहाड़ की चोटी है, वहाँ बहुत ठण्ढ पड़ रही है। ठण्ढी हवा कपड़ों में से शरीर पर चुभ रही है। आप पहाड़ की चोटी पर पहुँच गये हैं और आपकी आँखों के सामने बहुत ही सुन्दर दृश्य दिखाई देता है। पूर्व दिशा में एक बर्फ से ढंकी हुई पहाड़ों की श्रृंखला दिखाई देती है और अंधेरी घाटियाँ दिखाई देती हैं। पश्चिम की तरफ ये शृंखलायें हरे-भरे लहलहाते मैदान और समुद्र के रूप में दिखाई देती हैं। अपनी कल्पना शक्ति का विस्तार कीजिए और इस दृश्य को देखिए। उगते हुए सूर्य को पूर्व दिशा में एक सुनहरी गेंद के समान देखिए। सूर्य की किरणें अपना सुनहरा प्रकाश चारों ओर बिखेर रही हैं और बर्फ से वह प्रकाश लौटकर आँखों को चकाचौंध कर रहा है। अपनी आँखों को आकाश में चारों ओर घुमाइए। पश्चिम दिशा में अभी तक कुछ अंधेरा है। ऊपर नीला आकाश है, पूर्व में हल्का हरा और सूर्य के पास पीला चमकीला प्रकाश है। सूर्य के प्रकाश को पहाड़ों के ऊपर देखिए और वह घाटी की ओर गहराई की तरफ भी जाता दिखाई दे रहा है। गहरी घाटी में कुछ छाया-सी दिखाई देती है। आप पालथी मारकर वैठे हुए मनमोहक सुन्दर दृश्य का आनन्द ले रहे हैं। यह नये दिन का ऊषाकाल है। कुछ समय तक इसका अनुभव कीजिए...अपने मन को इस अनुभव में स्वतंत्र रूप से बहने दीजिए।

तैरता हुआ शरीर - कल्पना कीजिए कि आप छत पर हैं और आपका शरीर नीचे जमीन पर शवासन में लेटा हुआ अन्य लोगों के साथ योग निद्रा का अभ्यास कर रहा है। अब देखिए कि आपका शरीर धीरे से खड़ा होता है और पंजों के बल चल कर धीरे से चुपचाप दरवाजा खोलता है। बाहर निकलकर धीरे से दरवाजा बन्द कर देता है। देखिए, आपका शरीर मकान से बाहर चला गया है। अपने चारों ओर चिरपरिचित चीजों को देखता है, उसके अन्दर कोई ज्ञान या अनुभूति नहीं है, केवल हल्कापन है। आप उन लोगों से मिलते हैं जो आपको जानते हैं। आप उन्हें देखते हैं, लेकिन वे लोग आपको नहीं देख पाते, शायद वे अपनी बातचीत में लगे हुए हैं। अब जैसे ही वे जाते हैं, अचानक आप देखते हैं कि आपका शरीर समुद्र के ऊपर तैर रहा है। इसके प्रति सजग बनिए। देखिए गहरा नीला समुद्र नीचे से हिल रहा है। आपका शरीर बादल की तरह तैर रहा है। जिधर हवा जाती है उधर ही आपके शरीर का बादल भी चला जाता है। बादलों के कुछ टुकड़े आपके चेहरे को पोंछते हैं। आपके नीचे बादलों में से सूर्य का प्रकाश चमकता है। आपके ऊपर बादलों का झुंड विभिन्न रंगों से रंगा हुआ कपास के समान दिखाई देता है। उसके ऊपर नीला आकाश है। अब आपका शरीर हवा की लहरों में तैर रहा है, हवाएँ आपके शरीर को जमीन की ओर ले आई हैं। जमीन पर आप नीचे किसानों के मकान, अच्छे खेत, घने जंगल, बहती हुई नदियाँ देख रहे हैं जो सूर्य के प्रकाश से चमक रही हैं। कुछ क्षण रुकिए और अपने शरीर को समीप से देखिए। आपका शरीर पूर्ण विश्राम पा चुका है और आपके चेहरे पर शान्त और सौम्य भाव है। अचानक अब आपका शरीर इन्द्रधनुष के रंगों में बदल गया है। अनुभव कीजिए कि इन्द्रधनुष के सूक्ष्म रंगों से आपका शरीर धुल गया है और शुद्ध तथा पवित्र हो गया है। पीले, हरे, नीले, बैंगनी, लाल, नारंगी, सुनहरे, पीले आदि रंगों में धुल गया है। अनुभव कीजिए कि ये सारे रंग आपके शरीर में प्रवेश कर गये हैं। आपको स्वस्थ बना रहे हैं और मन की गहराई में पहुँचकर आपको शक्तिशाली बना रहे हैं। अब धीरे-धीरे आप लौट रहे हैं। अपने शरीर को मकान से बाहर लौटते हुए देखिए। फिर से उन्हीं परिचित वस्तुओं को देखिए जिन्हें आपने जाते समय देखा था। दरवाजा खोलिए। अब सोचिए कि आप अन्दर अपने शरीर के पास आ गये हैं। अब आप जमीन पर लेट गए हैं। आस-पास के लोगों को कोई बाधा नहीं पहुंचा रहे हैं। अब देखिए कि आपका शरीर धीरे-धीरे आसनों का अभ्यास कर रहा है। अब आपका शरीर फिर से शवासन में लेटा हुआ है।

कुआँ/समुद्र - कल्पना कीजिए कि आप सुनसान सड़क पर गर्मी के दिनों में चले जा रहे हैं। सड़क के एक तरफ ऊँची दीवार है, उसमें एक छोटा-सा दरवाजा है। आप उस द्वार से बगीचे में प्रवेश करते हैं। पंछी कलरव कर रहे हैं। सुन्दर फूल हैं, ठण्ढी छाया देने वाले वृक्ष हैं। आप बगीचे में घूमते हुए एक सुन्दर कुएँ के पास आ गए हैं, उस पर एक तितली इधर से उधर उड़ कर नाच रही है। उस कुएँ के अन्दर झाँकिए, वह बहुत गहरा है। ऐसा लगता है कि सीमेन्ट की बनी हुई गोल पाइप की सुरंग उस अंधेरे में लगी हुई है जिसमें अंधेरा ही अंधेरा है। उस कुएँ की दीवार के पास घुमावदार सीढ़ियाँ हैं। आप उस कुएँ में सीढ़ियों से उतर रहे हैं। उन दीवारों में पॉलिश किये हुए पत्थर लगे हैं, जो कि सफेद और पीले संगमरमर के हैं, जिन पर हरे पन्ने साँप की तरह दिखाई देते हैं। अब आप ऊपर देखिए। कुएँ के ऊपर प्रकाश का वृत्त दिखाई देता है। कुएँ की दीवार से आप छोटे-छोटे जीवों की आवाज सुनते हैं। कभी-कभी झींगुर या मेंढक की आवाजें सुनाई देती हैं। अब आप पूरी तरह से अंधेरे से घिर गए हैं। आप अपना रास्ता दीवार के सहारे अनुभव से ढूँढ पा रहे हैं। बड़ी-बड़ी आँखें आपको घूर रही हैं और झपकती हैं। वहाँ पंखों की फड़फड़ाहट और उल्ल की आवाज सुनाई दे रही है। आप एक कीड़ों के झुंड, जो कि चमकदार है और बादल की तरह है, के पास से गुजरते हैं। वह एकदम पारदर्शक है। आप इन सबसे घिर जाते हैं, लेकिन कोई कीड़ा आपको छूता नहीं। उस कुएँ की दीवारें गीली तथा चिकनी हैं। वहाँ नीचे धुंधला प्रकाश है। आप एक सुनहरे किनारे पर आ जाते हैं। एक चमकदार पीले प्रकाश का किनारा है। वह अनन्त शान्ति और आनन्ददायक समुद्र का किनारा है। उसके पानी पर एक बड़ा सफेद कमल लहरों के हल्के थपेड़ों से हिल रहा है। उस फूल के बीच में एक छोटा बच्चा लेटा हुआ है और वह बच्चा आप हैं। अपने आपको उस बच्चे के रूप में अनुभव कीजिए - उस अनन्त समुद्र में लहरों के हल्के थपेड़ों से आप झूल रहे हैं। इस बच्चे के स्वरूप की अच्छी तरह से कल्पना कीजिए। अब उस फूल में लेटे आप उस असीम आनन्द के समुद्र में ॐ की ध्वनि को सुन रहे हैं। ॐ की ध्वनि की लहरें आपके शरीर तथा कानों में पहुँच रही हैं।

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