महान व्यक्तित्व >> सम्राट अशोक सम्राट अशोकप्राणनाथ वानप्रस्थी
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प्रस्तुत है सम्राट अशोक का जीवन परिचय...
सेवा और परोपकार
इस सम्राट् ने संसार में धर्म-प्रचार के साथ लोगों को सुख पहुंचाने के भी बड़े-बड़े कार्य किए हैं-
- राज्य के कोने-कोने में मनुष्यों के लिए अस्पताल खोले गए, जहां बैद्यों द्वारा अमीर, गरीब सबका मुफ्त इलाज होता था। इसी तरह स्त्रियों के लिए भी अलग अस्पताल खोले गए जहां स्त्री-वैद्याएं देवियों की चिकित्सा करती थीं।
- इसी तरह राज्य के कोने-कोने में पशु-पक्षियों के लिए भी अस्पताल खोले गए, जहां सब प्रकार के चौपायों-गाय, बैल घोड़ा तथा पक्षियों की चिकित्सा होती थी।
- अपने राज्य के बाहर, अपने पड़ोसी यवन देशों में भी सम्राट् ने मनुष्यों और पशुओं के लिए अलग-अलग अस्पताल खुलवाए। उनके दुःखों और कष्टों को मिटाया।
- राज्य की ओर से प्रतिवर्ष वर्षा ऋतु के बाद पुरानी औषधें फिंकवा दी जाती थीं और नई औषधें बांटी जाती थीं।
- स्थान-स्थान पर बगीचे बनवाए गए, जिनमें औषधें बनाने के लिए असंख्य प्रकार की बूटियां उगाई गईं।
- आठ-आठ कोस पर सड़कों के किनारे धर्मशालाएं बनवाई गईं, ताकि राह-चलते यात्रियों को रात के समय पूरा-पूरा विश्राम मिल सके।
- मार्गों में, सड़कों पर, राज्य के कोने-कोने में छायादार वृक्ष लगवाए गए, ताकि लोगों को गर्मियों में शीतल छाया मिल सके।
- जहां-जहां जल की कमी थी, कुएं खुदवाए गए। पशुओं के पीने के लिए भी जल के हौज़ बनवाए गए।
- गर्मियों में जब भूमि और वायु तप जाती हैं और शरीर को झुलसानेवाली लू चलने लगती है, उन दिनों में स्थान-स्थान पर, ग्राम-ग्राम में, नगरों के कोने-कोने में, ठंडे जल के प्याऊ लगवाए गए। पशुओं के पीने के लिए भी जल का अलग-अलग प्रबन्ध किया गया।
- स्थान-स्थान पर बगीचे लगवाए गए, जिनमें फलदार वृक्ष और पौधे लगवाए गए। लोगों के घूमने-फिरने और बैठने के लिए भी सुन्दर-सुन्दर स्थान बनवाए गए। 11. हंसी-खुशी के लिए शिकार और खेल-तमाशे बन्द कर दिए गए।
- यज्ञों में पशुओं का बलिदान बन्द कर दिया गया।
- उपयोगी चौपायों, दूध देनेवाले पशुओं का वध बन्द कर दिया गया।
- खास-खास तिथियों में, त्यौहारों के दिनों में, वर्ष-भर में 56 दिनों के लिए, सुग्गा, मैना, चकोर, हंस, मछली, कछुआ, बारहसिंहा, सांड, हिरन, कबूतर और अनेक पशुओं, पक्षियों और जलचरों का वध बन्द कर दिया गया।
- राजमहलों में, जहां अनेक प्रकार के मांस के खाने प्रतिदिन बनते थे, उन्हें बहुत कम कर दिया गया।
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- जन्म और बचपन
- तक्षशिला का विद्रोह
- अशोक सम्राट् बने
- कलिंग विजय
- धर्म प्रचार
- सेवा और परोपकार
- अशोक चक्र
अनुक्रम
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