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महान व्यक्तित्व >> सम्राट अशोक

सम्राट अशोक

प्राणनाथ वानप्रस्थी

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2003
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1492
आईएसबीएन :81-7483-033-2

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प्रस्तुत है सम्राट अशोक का जीवन परिचय...

राजकुमार सुमन स्वभाव से चंचल था और उसमें कोई अच्छे गुण भी न थे। एक बार उसने खेल ही खेल में प्रधानमंत्री खल्लाटक के सिर पर खटका गिरा दिया। इस पर प्रधानमंत्री अप्रसन्न हो गए। उन्होंने इस राजकुमार की पूरी तरह से छानबीन की। उन्होंने देखा कि इस कुमार में सम्राट् बनने की योग्यता नहीं।

अब उन्होंने दूसरे राजकुमारों की ओर दृष्टि दौड़ाई। उन्होंने देखा कि अशोक इन सबमें योग्य है। वह दिन-रात प्रजा के दीन-दुःखी लोगों की सेवा में लगा रहता है। विद्वानों और ब्राह्मणों की आज्ञा में चलता है। बड़ा मधुर बोलनेवाला, सुशील और गंभीर है। उन्होंने सम्राट् को बहुतेरा समझाया कि अशोक ही राजा बनने के योग्य है। परन्तु राजा तो सुमन को ही चाहते थे। इधर प्रधानमंत्री ने अन्दर-ही-अन्दर सब मंत्रियों को अपनी ओर मिला लिया और निश्चय किया कि अशोक ही राजा बनना चाहिए।

इधर सम्राट् बिन्दुसार ने साधु पिंगलवत्साजीव को बुलाकर कहा, ''महाराज! आप सब  राजकुमारों की परीक्षा लें और मुझे बताएं कि इन सबमें योग्य कौन है।''

सब राजकुमारों को सोने के बने हुए मंडप में बुलाया गया। राजकुमार अशोक जानता था कि  पिता उससे प्रेम नहीं करते। फिर भी माता की आज्ञा सिर-माथे पर चढ़ा यह भी उस स्थान को चला। मार्ग में उसे एक हाथी मिला। भारतवर्ष का होनेवाला सम्राट् हाथी पर चढ़कर मंडप  में पहुंचा। दूसरे राजकुमार बड़े-बड़े सुन्दर रथों पर चढ़कर आए थे। भोजन के समय जहां दूसरे राजकुमारों को सोने और चांदी के बर्तनों में बढ़िया स्वादिष्ट भोजन दिए गए, वहां अशोक को  मिट्टी के बर्तनों में दही और चावल खाने को दिया गया। इतना अपमान होने पर भी अशोक गंभीर बना रहा और उसने साधु महाराज की हर आज्ञा का पूरा-पूरा पालन किया।

परीक्षा हो चुकी। सभी राजकुमार अपने-अपने महलों को लौट गए। साधु पिंगलवत्साजीब ने सबसे अधिक गुण अशोक में ही पाए। साथ ही साथ साधु ने देख लिया कि सम्राट् राजकुमार अशोक कों फूटी आंखों भी देखना नहीं चाहते। इस पर साधु ने सम्राट् को टाल दिया। राजकुमारों को उसने बताया कि जिसकी सवारी सुन्दर है, जिसका आसन, भोजन, पात्र और  वस्त्र अच्छे हैं, वही राजा बनने के योग्य है। सभी राजकुमारों ने मन ही मन अपने को योग्य समझा।

एक दिन रानी सुभद्रांगी ने साधु पिंगलवत्साजीव को बड़े आदर से बुलाया और पूछा कि परीक्षा में कौन राजकुमार सबसे योग्य निकला है। साधु महाराज ने उसे बताया कि सच बात तो यह है कि अशोक गुणों का सागर है। वह वीर है, धैर्यवान है, गंभीर है, दूसरों के दुःख-दर्द मिटाने वाला है। वह राजगद्दी पर बैठने योग्य है।

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    अनुक्रम

  1. जन्म और बचपन
  2. तक्षशिला का विद्रोह
  3. अशोक सम्राट् बने
  4. कलिंग विजय
  5. धर्म प्रचार
  6. सेवा और परोपकार
  7. अशोक चक्र

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