लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :390
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1530
आईएसबीएन :9788128812453

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

160 पाठक हैं

my experiment with truth का हिन्दी रूपान्तरण (अनुवादक - महाबीरप्रसाद पोद्दार)...


मेरे जीवन की ऐसी यह तीसरी परीक्षा थी। कितनेही नवयुवक शुरू में निर्दोष होते हुए भी झूठी शरम के कारण बुराई में फँस जाते होते। मैं अपने पुरुषार्थ के कारण नहीं बचा था। अगर मैंने कोठरी मेंघुसने से साफ इन्कार किया होता, तो वह मेरा पुरुषार्थ माना जाता। मुझे तो अपनी रक्षा के लिए केवल ईश्वर का ही उपकार मानना चाहिये। पर इस घटना केकारण ईश्वर में मेरी श्रद्धा और झूठी शरम छोडने की कुछ हिम्मत भी मुझे में आयी।

जंजीबार में एक हफ्ता बिताना था, इसलिए एक घर किराये से लेकर मैं शहर में रहा। शहर कों खूब घूम-घूमकर देखा। जंजीबार की हरियाली कीकल्पना मलाबार को देखकर ही सकती हैं। वहाँ के विशाल वृक्ष और वहाँ के बड़े-बडे फल वगैरा देखकर मैं तो दंग ही रह गया।

जंजीबार से मैं मोजाम्बिक और वहाँ से लगभग मई के अन्त में नेटाल पहुँचा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book