लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :390
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1530
आईएसबीएन :9788128812453

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

160 पाठक हैं

my experiment with truth का हिन्दी रूपान्तरण (अनुवादक - महाबीरप्रसाद पोद्दार)...


मैं तो पहले दर्जे के डिब्बे में बैठा। ट्रेन चली।जर्मिस्टन पहुँचने पर गार्ड टिकट जाँचने आया। मुझे देखते ही खीझ उठा। अंगुली से इशारा करके मुझसे कहा, 'तीसरे दर्जे में जाओ।' मैंने पहले दर्जेका अपना टिकट दिखाया। उसने कहां,'कोई बात नहीं, जाओ तीसरे दर्जे में।'

इस डिब्बे में एक ही अंग्रेज यात्री था। उसने गार्ड का आड़े हाथो लिया, 'तुमइन भले आदमी को क्यो परेशान करते हो? देखते नहीं हों, इनके पास पहले दर्जे का टिकट हैं? मुझे इनके बैठने से तनिक भी कष्ट नहीं हैं।'

यों कहकर उसने मेरी तरफ देखा और कहा, 'आप इततीनान से बैठे रहिये।'

गार्ड बड़बडाया. 'आपको कुली के साथ बैठना हैं तो मेरा क्या बिगडता हैं।'और चल दिया।

रात करीब आठ बजे ट्रेन प्रिटोरिया पहुँची।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book