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ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...


उसके उपरान्त हम एक अन्य विषय पर विचार करेंगे। मुगल शासकों के समय में प्रचलित भ्रष्टाचार को ध्यान में रखते हुए ऐसे कार्य के निर्माण का जो अनुमानित व्यय बादशाह को बताया गया होगा उसमें बहुत बड़ा भाग उस अनधिकृत लाभ का होगा जो हजारों बिचौलियों में बाँटा गया होगा। इस प्रकार के अनुचित अनुमान के आधार को ध्यान में रखते हुए हम समझ सकते हैं कि वास्तविक व्यय २० लाख रुपए के लगभग ही हुए होंगे।

बीस लाख रुपए अथवा इसके लिए ४० लाख भी मान लें तो भवन की अधोभाग में कब्रों की खुदाई, बनवाई, अष्टभुज केन्द्रीय कक्ष में नकली कब्रों की बनवाई, उन पर पच्चीकारी करवाने तथा दीवारों पर कुरान की आयतों के खुदवाने आदि में सहज ही व्यय हो सकते हैं। पच्चीकारी करवाने के कारण मीनारों को ऊँचाई तक प्रासाद के चारों ओर मुखद्वार और मेहराबों के परिवर्तन के लिए विशाल मचान बँधवाने की आवश्यकता थी। इस प्रकार के पच्चीकारी के कार्य और कुरान की आयतों को खुदवाने के लिए प्राचीन हिन्दू प्रासाद के उन भागों से पत्थरों को हटाने और उनके स्थान पर दूसरे लगाने की आवश्यकता थी। इसके लिए नये पत्थर भी मंगवाए गए होंगे। क्योंकि पत्थरों को उखाड़ने-लगाने में कुछ खराब हो जाते होंगे और कुछ टूट भी जाते होंगे। उच्च वेतनों पर शिल्पियों की नियुक्ति, दूर से पत्थरों का मंगवाना और ऊँचे मचान बँधवाने के विषय में ही व्यय का विवरण बादशाहनामे में उल्लिखित है।

पूर्ण निर्माण कार्य की अपेक्षा मचान बंधवाने में अधिक व्यय हुआ है, यह सिद्ध करने के लिए हम अगले अध्याय में फ्रैंच-व्यापारी टैवर्नियर को उमृत करेंगे। इससे यह सिद्ध हो जाएगा कि जो कार्य किया गया वह ताजमहल की दीवारों पर लिखाई की तुलना में महत्त्वहीन था।

हमें आश्चर्य होता है कि बाद के लेखकों ने किस अधिकार के आधार पर ताजमहल के इस तथाकथित निर्माण कार्य में नौ करोड़ सत्रह लाख व्यय होने का उल्लेख किया जबकि शाहजहाँ का अपना दरबारी लेखक मुल्ला अब्दुल हमीद इसको केवल चालीस लाख ही बताता है। ऐसे अपुष्ट प्रमाण जो अन्धविश्वासपूर्वक कार्य-प्रणाली को विकृत कर मान लिये गए, जिनके कारण भारतीय इतिहास पहेली बनकर रह गया है। इनमें सबसे अधिक उलझन-भरी घटना ताजमहल की मौलिकता के सम्बन्ध में है।

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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