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ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...


"टैवर्नियर, जीन बैपटिस्ट (१६०५-१६८९), फ्रांसीसी भ्रमणकारी और भारत के साथ व्यापार में अग्रणी, का जन्म सन् १६०५ में पेरिस में हुआ जहाँ उसके पिता गैबरियल और चाचा मैलचाइन्स, जो प्रोटेस्टैंट क्रिश्चियन थे, उन्होंने भूगोल और नक्काशी का कार्य अपनाया था। अपनी प्रथम यात्रा में वह अधिकाधिक इस्फाहान तक आया था, वह बगदाद, अलेप्पो, अलेक्जांड्रिया, माल्टा और इटली होता हुआ १६३३ में पेरिस पहुंच गया था। सितम्बर १६३८ में उसने अलेप्पो से फारस होते हुए दूसरी यात्रा आरम्भ की और तब भारत में वह आगरा तथा गोलकुण्डा तक पहुँचा। मुगल दरबार तथा रत्नों की खानों से सम्बन्धित उसकी यात्राएं पूर्णतया उस समय फलीभूत हुई जब अपनी भावी यात्राओं में उसने भारत के पूर्वी प्रदेशों के राजकुमारों के साथ मूल्यवान रत्नों तथा अन्य अमूल्य द्रव्यों का व्यापार किया। उसी दूसरी यात्रा का चार अन्य व्यक्तियों ने अनुसरण किया। अपनी तीसरी यात्रा (१६४३-४९) में वह सुदूर जावा तक जाकर प्रायद्वीप के मार्ग से वापस लौटा। अपनी अन्तिम तीन यात्राओं (१६५१-५५, १६५७-६२, १६६४-६८) में वह भारत से आगे नहीं बढ़ा। १६६९ में उसे सम्भ्रान्त नागरिक की उपाधि मिली और सन् १६७० में उसने जनेवा के समीप औबोन की ताल्लुकेदारी खरीदी।

"टैवर्नियर के जीवन के अन्तिम दिनों का विवरण अस्पष्ट है। सन् १६८७ में पेरिस छोड़कर वह स्विट्जरलैंड चला गया। सन् १६८९ में वह कोपेनहागेन से गुजरता हुआ मास्को के मार्ग से फारस को जा रहा था। उसी वर्ष मास्को में उसकी मृत्यु हो गई।"

इसके बाद हम ताजमहल के सम्बन्ध में टैवर्नियर के लेखों का यह दिखाने के लिए विश्लेषण करेंगे कि यदि उसको ठीक ढंग से समझा जाए और व्याख्या की जाए तो उससे हमारे इस निष्कर्ष की पुष्टि होगी कि शाहजहाँ ने ताजमहल को बनवाया नहीं था अपितु केवल अपनी पत्नी मुमताज को दफनाने के लिए उसने प्राचीन हिन्दू भवन पर अधिकार कर लिया था।

तदपि हम यहाँ पर यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इतिहासज्ञों ने टैवर्नियर के परीक्षण पर जो अनुपयुक्त बल दिया है वह न्यायसंगत नहीं है। इस सन्दर्भ में हम इतिहासज्ञों को साक्ष्य संविधान के सूक्ष्म प्रावधानों से सचेत करना चाहते हैं। एक स्पष्ट गलती इतिहास के अनुसन्धाताओं की यह रही है कि तर्क के नियमों और साक्ष्य के न्यायिक विकास से वे या तो नितान्त अनभिज्ञ रहे या फिर उन्होंने उनका पूर्ण निरादर कर दिया। साक्ष्य का संविधान स्वयं सुदृढ़ तर्क पर आधारित है। यदि कोई व्यक्ति टैवर्नियर के साक्ष्य के आधार पर किसी न्यायालय में यह घोषित करने जाय कि ताजमहल का निर्माण शाहजहाँ ने किया था, तो आवेदक और उसका आवेदन दोनों न्यायालय से बाहर फेंक दिए जाएंगे।

न्यायालय के लिए यह पूछना उपयुक्त ही होगा कि उस समय की भारत सरकार का, जिसका प्रतिनिधित्व शाहजहाँ कर रहा था, के पास प्रमाण के रूप में कागज का कोई एक ऐसा टुकड़ा भी नहीं, (जैसे कि भवन का नक्शा, व्यय का विवरण अथवा कोई अभिलेख) जो ताजमहल के विषय में उसके अधिकार की पुष्टि करे, इसलिए टैवर्नियर जैसे विदेशी फ्रांसीसी व्यक्ति, जो घटनावश शाहजहाँ के शासनकाल में भारत- भ्रमण के लिए आया था, उसके द्वारा अस्पष्ट उल्लेखों के आधार पर ताज के विषय में कुछ अधिकार जताना आवेदक का अधिकार नहीं है। इसलिए, टैवर्नियर के जिस प्रमाण को इतिहासज्ञ ने उच्च स्तर का साक्ष्य माना है न्यायालय ने उसको निम्न स्तर का साक्ष्य स्वीकार कर। तिहासज्ञों ने स्वयं के अधिकारी अनुसन्धाता होने का जो तूफान खड़ा किया है उस ह साधारण-सा स्पष्टीकरण है।

तदपि हम सिद्ध करने का यत्न करेंगे कि स्वयं टैवनियर ने अपने लेखों में शाहजहाँ के कथानकों के बुदको किस प्रभावी रूप से उखेड़ा है। यह स्वाभाविक कि सभी अस्तव्यस्त विवरण अनिवार्यरूपेण सत्य से सम्बन्धित किए जाएँ।

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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