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ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...

औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन


बादशाहनामे में उल्लिखित तथ्य कि 'ताजमहल हथियाया गया हिन्दू भवन है' तथा टैवर्नियर का यह कहना कि 'शाहजहाँ ने मुमताज़ को दफनाने के लिए ताजमहल को सप्रयोजन चुना' इसके अतिरिक्त हमारे पास दो अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य हैं जो इनसे संगत हैं : एक है शाहजादा औरंगजेब का अपने पिता शाहजहाँ को लिखा गया पत्र, दूसरा, ताजमहल की सीमा में सद्य:सम्पन्न खोज।

विश्वविद्यालय, शिक्षाविद् तथा जनसाधरण जो बड़े जोर-शोर से यह घोषणा करते फिर रहे हैं कि शाहजहाँ ने ताजमहल बनवाया, वे इस तथ्य से अनभिज्ञ हैं कि वे सब इस कहानी के अनेक प्रकरणों के सम्बन्ध में परस्पर विभिन्न विचारवाले हैं। उदाहरणार्थ, इस कथानक की नायिका मुमताज की मृत्यु अनिश्चिततया कभी १६२९ तथा १६३२ के मध्य हुई होगी। इसी प्रकार शाहजहाँ द्वारा ताजमहल के निर्माण (?) में १० से २२ वर्ष लगे होंगे, यह तथ्य भी अनेक भागों में विभक्त है। भारत में अंग्रेजों के शासनकाल में यह प्रवृत्ति अधिक प्रचलित रही है कि जहाँ रिकार्ड में विभिन्नता है, वहाँ पाश्चात्य लेखक अधिक विश्वसनीय हैं। इसी प्रकार भारत में अंग्रेजी शासन ने टैवर्नियर के ऊल-जलूल गल्प कि मुमताज़ के दफनाने में २२ वर्ष लगे, मुस्लिम विवरणों पर वरीयता देकर इसे सर्वसम्मत स्वीकार कर लिया। उनके दिमाग में यह बात आई ही नहीं कि टैवर्नियर और मुस्लिम-वृत्तान्त परस्पर नितान्त विरोधी हैं और न उन्होंने कोई दरबारी साक्ष्य प्रस्तुत किया है, इसलिए वे निश्चित ही असत्य हैं। इसलिए अंग्रेजों ने ताजमहल के सम्बन्ध में योरोपियन और मुसलमानों द्वारा लिखित अनर्गल, अतयं तथा कपोल-कल्पित वृत्तान्त को स्वीकार कर लिया। ऐसी ही एक दोगली रचना, साधारण दर्शक को ठगने के लिए यह घोषित करते हुए कि ताजमहल का निर्माण २२ वर्ष में पूर्ण हुआ, ताजमहल के उद्यान के द्वार पर सज्जित संगमरमर पर खुदवाई गई है। भारत सरकार का पुरातत्त्व विभाग, जिसने तथाकथित इतिहासकारों के परामर्श से यह संगमरमर पर खुदवाया है, सारे संसार को विश्व-विख्यात स्मारक ताजमहल के स्वामित्व के सम्बन्ध में भ्रमित कर रहा है, जो बहुत ही खेद का विषय है।

यदि मुमताज़ १६३० के लगभग दिवंगत हुई हो, जैसाकि लगभग विश्वास किया जाता है, तब २२ वर्ष की अवधि, जब ताजमहल अपनी भव्यता एवं दिव्यता के साथ पूर्ण होता है वह वर्ष सन् १६५२ बैठता है। किन्तु पुरातत्त्व विभाग और पारम्परिक इतिहासकारों के दुर्भाग्य से हमारे पास शाहजादा औरंगजेब का लगभग १६५२ का एक पत्र है जो उक्त तथ्य को झुठलाता है। उस पत्र को कम-से-कम समकालीन दो फारसी इतिहासकारों ने अदाह-ए-आलमगीरी (राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली में सुरक्षित पाण्डुलिपि की पृष्ठ सं. ८२) और यादगार- ए-आलमगीरी में उद्धृत किया है। उस पत्र में औरंगजेब बादशाह शाहजहाँ को सूचित करता है कि जब १६५२ में वह सूबेदारी ग्रहण कर दिल्ली से दक्षिण की ओर जा रहा था तो मार्ग में आगरा में अपनी माँ मुमताज़ की दफ्नगाह में गया था।

अपने पिता बादशाह शाहजहाँ के प्रति पूर्ण आदर और सम्मान व्यक्त करते औरंगजेब अपने पत्र में लिखता है-"मैं गुरुवार मुहर्रम मुकराम की तीसरी तिथि को (अकबराबाद अर्थात् आगरा) पहुँचा। पहुँचने पर मैं बादशाहजादा जहाँबानी (अर्थात् बड़े राजकुमार दारा को) जहाँनारा के बाग में मिला, उस भव्य भवन में जिसमें बसन्त की बहार छाई हुई थी, मैंने उनके सम्पर्क में आनन्द उठाया और सब की कुशल पूछी। मैं महावत खाँ के बाग में ठहरा।

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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