इतिहास और राजनीति >> ताजमहल मन्दिर भवन है ताजमहल मन्दिर भवन हैपुरुषोत्तम नागेश ओक
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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...
ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
प्राचीनकाल के हिन्दू प्रासादों का निर्माण नगर के मध्य भीड़भड़ाकेवाले क्षेत्र में कराने की परम्परा रही है, जिस प्रकार कि युद्धादि के समय शासक हाथी पर आरूढ़ चारों ओर से सेना से घिरा हुआ मध्य में चला करता था। यहाँ तक कि प्रासाद में भी शासक का कक्ष मध्य में ही स्थित होता था। युद्ध तथा वास्तुकला-सम्बन्धी हिन्दू परम्परा का यह पक्ष उस समय ध्यान में रखना होगा जब भारत के मध्ययुगीन स्मारकों का अध्ययन करें। यद्यपि वे भ्रमवश मकबरे और मस्जिद जैसे दिखाई देते हैं किन्तु वे सब प्राचीन हिन्दू मन्दिर और प्रासाद हैं।
हिन्दू राजा और उनके उच्चाधिकारीगण अभिरुचि-सम्पन्न होने के कारण प्रमुख उत्पादनों के मुख्य क्रेता माने जाते थे इसलिए राजप्रासादों में अधिकांशतया बाजारों की भी व्यवस्था रहती थी। यही बात ताजमहल पर भी लागू होती है और टैवर्नियर द्वारा इसकी पुष्टि भी हुई है।
ताजमहल शब्द का अर्थ है 'राजभवन' अथवा 'भवनों का सिरमौर'। इसका किंचित् भी अर्थ मकबरा नहीं होता। मकबरा और प्रासाद उतने ही भिन्न हैं जितना कि धरती और आकाश। यदि ताजमहल शब्द का अर्थ यत्किचित् भी समाधि अथवा श्मशान से मिलता-जुलता होता तो कोई भी अपने होटल का नाम 'ताजमहल होटल रखने का साहस नहीं कर सकता था और न ही पर्यटक उस 'कब्र होटल' में रहने को उत्सुक ही रहते। परन्तु पर्यटक ताजमहल के नाम से इसलिए आकर्षित होते हैं क्योंकि वह नाम एक विशाल एवं भव्य राजप्रासाद अथवा मन्दिर का प्रतीक है न कि विषादयुक्त मौन मकबरे का।
मुगल दरबार के रिकॉर्ड में कहीं भी ताजमहल शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है, क्योंकि यह शब्द संस्कृत का तेज-महा-आलय शब्द है। शाहजहाँ तो केवल (हथियाया गया) उसकी पत्नी का मकबरा वाला भवन कहता है। जबकि औरंगजेब उसको अपनी माँ का स्मारक कहता है। यह एक और प्रबल प्रमाण है कि शाहजहाँ ने ताजमहल नहीं बनवाया था।
इसी (हिन्दू) ताजमहल (प्रासाद परिसर) में दुकानों की पंक्तियाँ परिसर की सीमा के भीतर ही थीं जो बाजार का रूप धारण कर लेती थीं, ऐसा टैवर्नियर का उल्लेख है। उन्हीं दुकानों में से वर्तमान में कुछ दुकानें, जलपान-गृह, कुछ चित्रावली बेचनेवाले तथा कुछ को ताजमहल के नमूने तथा अन्य कलात्मक वस्तु- विक्रेताओं ने घेर लिया है।
यहाँ हम पुन: एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका का वह उद्धरण स्मरण कराते हैं जिसमें लिखा है कि ताजमहल परिसरस्थ भवनों के अन्तर्गत अश्वशाला, अतिथिशाला तथा आरक्षक-कक्ष बने हैं। ये सभी अनिवार्यरूपेण राजभवन के भाग ही बनते हैं न कि मकबरे के।
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