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इतिहास और राजनीति >> ताजमहल मन्दिर भवन है

ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...


शाहजहाँ की कामुकता और क्रूरता का जो सार ऊपर प्रस्तुत किया गया है, वह शाहजहाँ के मुमताज के प्रति विशेष लगाव की सभी बातों को मिथ्या सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है। वह शाहजहाँ के हरम की ५,००० रखेलों में से एक थी और इनके अतिरिक्त उसके दरबारियों की पत्तियाँ और रक्षिकाएँ और दासियाँ भी थीं जिनका उपभोग वह अपनी अपरिमित काम-पिपासा की तुष्टि के लिए किया करता था।

मुमताज़ की मृत्यु से दुःखी होने के विपरीत शाहजहाँ ने अपनी पत्नी को उसकी मृत्यु पर भी एक राजनीतिक उपकरण के रूप में प्रयुक्त किया। उसने उसकी मृत्यु को एक उपयुक्त छल के रूप में प्रयोग करते हुए जयसिंह के भव्य पैतृक प्रासाद को हथिया कर एक और हिन्दू को उसकी सम्पत्ति और शक्ति से वंचित कर दिया, क्योंकि उसके मन में हिन्दुओं के प्रति गहन घृणा थी।

अपने विशिष्ट-कृपण, अभिमानी और कामुक-स्वभाव के कारण शाहजहाँ वह अन्तिम व्यक्ति हो सकता था जो हरम अथवा उससे बाहर भोग की गई अनेक नारियों में से किसी एक के लिए मकबरे के निर्माण जैसी भावुकतापूर्ण योजना पर धन का अपव्यय करे। अन्य सभी तथाकथित मुस्लिम मकबरों-अर्थात् वे हिन्दू भवन जिन्हें पहले उन्होंने अपने निवास के लिए प्रयुक्त किया और बाद में दफनगाह के लिए-की भाँति ताजमहल भी मात्र मकबरा ही नहीं है, अपितु हिन्दू भवन है जिसे दफनगाह के रूप में परिणत कर दिया गया है। मुमताज के अतिरिक्त शाहजहाँ स्वयं भी उसकी बगल में पड़ा हुआ है। किन्तु यही सब कुछ नहीं है; उसी क्षेत्र में दो अन्य कब्रें भी हैं।

श्री कँवरलाल लिखते हैं* - "जिलोखाना के दूसरे छोर पर पूर्व की ओर वहाँ
फिर दो भवन और हैं। ये मकबरे हैं सती उन्निसा (खानम) जो मुमताज़ महल की
चहेती दासी थी और जिस पर बुराहनपुर में मुमताज़ की कब्र की देखरेख का भार
सौंपा गया था। और वैसा ही दूसरा मकबरा सरहन्दी बेग शाहजहाँ की दूसरी रानी
का है। दोनों भवन बिलकुल एक समान बने हैं।"
* दि ताज, लेखक कँवरलाल, पृष्ठ ६९

सती उन्निसा खानम के मकबरे के बारे में कीन अपनी हँडबुक के पृष्ठ १६१-१६२ में लिखता है-"जो शव वहाँ दफनाया हुआ बताया जाता है वह मुमताज़ की श्रद्धालु दासी का था। मकबरा (जिसे शाहजहाँ ने बनवाया) की लागत ३० हजार रुपए बताई जाती है। यह १६४७ में निस्संतान विधवा के रूप में लाहौर में मरी थी। आगरा में चित्तीखाना (सतीखाना का विकृत रूप) की नींव उसने रखी थी। मुख्य मकबरे का ऊँचा अष्टकोणीय चबूतरा अष्टकोणीय केन्द्रीय शवगृह से घिरा हुआ है। ताज के विषय में भी अधिकारी विद्वान् कहते हैं कि उसका मकबरा भी उसके समीप ही बना है, यह विशिष्ट बात किसी तथ्य पर आधारित नहीं केवल सामान्य रूप से प्रचलित है।"

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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