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इतिहास और राजनीति >> ताजमहल मन्दिर भवन है

ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...


वह शाहजहाँ की जफर खाँ और खलीलुल्लाह खाँ की पत्नियों से समीपता के सम्बन्ध में भी लिखता है। वह कहता है कि जब प्रात: काल जफर खाँ की पत्नी दरबार की ओर जाती होती तो मार्ग में बैठे भिखारी चिल्लाते; 'ऐ शाहजहाँ की प्रातराश' हमारा ख्याल रख; और जब मध्याह्न के समय खलीलुल्लाह खाँ की पत्नी जाती होती तो वे चिल्लाते, 'ऐ शाहजहाँ के मध्याह्न का भोजन' हमारी सहायता कर। बर्नियर का कथन है कि सम्भोग की ओर शाहजहाँ का बहुत झुकाव था। मैनरिक कहता है कि शाहजहाँ ने अपनी बेटी की सहायता से शाइस्ता खाँ की पत्नी का सतीत्व नष्ट किया। पीटर मुंडी कहता है कि शाहजहाँ का अपनी पुत्री चमनी बेगम के साथ यौन सम्बन्ध था। ट्रैवर्नियर भी उसी धुन में लिखता है*-"वारिस ने अकबराबादी महल और फतेहपुरी महल का उल्लेख करते हुए उन्हें शाहजहाँ की दो चहेती दासी-युवतियां बताया है। सबसे अधिक आघातक सुझाव तो यह दिया जाता है कि शाहजहाँ के अपनी पुत्री जहाँनारा से अवैध यौन- सम्बन्ध थे।" बर्नियर कहता है, "बेगम साहिबा, शाहजहाँ की बड़ी लड़की, बहुत सुन्दर और सजीली थी, और अपने कामातुर पिता द्वारा बहुत प्यार की जाती थी। यह अफवाह थी कि उसका प्यार इस सीमा तक पहुंच गया था कि उन बातों पर विश्वास करना तक कठिन हो गया और सम्बन्धों को न्यायोचित सिद्ध करने के लिए उसको मुल्लाओं और न्यायविदों की शरण लेनी पड़ी। उसके अनुसार बादशाह को अपने ही रोपे वृक्ष से फल तोड़ने की सुविधा से वंचित करना उनके लिए अनोखी बात थी।" विंसेंट स्मिथ का मत है कि "इन अवैध सम्बन्धों के पहले प्रमाण सबसे पहले डी लाइट के लेखों में प्राप्त होते हैं और इसकी पुष्टि थोमस हरबर्ट ने कर दी।"
* वही, पृष्ठ २७

शाहजहाँ के चरित्र के सम्बन्ध में महाराष्ट्रीय ज्ञान-कोश* क्या कहता है, अब हम यह देखेंगे। "शाहजहाँ (१५९३-१६५८) पाँचवाँ मुगल बादशाह : शाहबुद्दीन मोहम्मद किरान उपनाम शाहजहाँ जोधपुर की राजकुमारी से जहाँगीर सलीम का पुत्र था। नूरजहाँ और आसखाँ के प्रयत्नों से उसको राज्य प्राप्त हुआ था। जब उसका पिता जीवित था शाहजहाँ ने उससे दो या तीन बार विद्रोह किया था। किन्तु सफल नहीं हो सका। राज्यासीन (१६२८) होने पर उसने अपने सभी (निकटस्थ) रिश्तेदारों की हत्या कर दी। १६३७ में शाहजी को पराजित कर उसने सारे अहमद नगर क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। योरोपियनों के भारत-प्रवेश के सम्बन्ध में उसने विशेष सावधानी बरती और धर्म के सम्बन्ध में हस्तक्षेप को उसने कदापि सहन नहीं किया। पुर्तगाली धर्म-परिवर्तन के कार्य में अभिरुचि प्रकट कर रहे हैं, इस बहाने को लेकर शाहजहाँ ने उनके विरोध में हुगली के किनारे उनकी बस्ती में अपनी सेना भेजी, उसने उस बस्ती को तहस-नहस कर दिया और उनकी सारी सम्पत्ति छीन ली। उसने पारसियों से कान्धार भी जीतना चाहा किन्तु सफल नहीं हो सका।"
* महाराष्ट्रीय ज्ञान-कोश, खंड २०, पृष्ठ (स) १३

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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