इतिहास और राजनीति >> ताजमहल मन्दिर भवन है ताजमहल मन्दिर भवन हैपुरुषोत्तम नागेश ओक
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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...
अपने पुत्र शाहजहाँ के बारे में उसका पिता जहाँगीर जो कहता है वह यह है*-"मैंने निर्देश दिया कि भविष्य में उसे (शाहजादा शाहजहाँ को) नराधम समझा जाए और जहाँ कहीं इस इकरारनामे में नराधम शब्द का प्रयोग हो वह उसके लिए ही है जो कुछ मैंने उसके लिए किया है लेखनी वह सब वर्णन नहीं कर सकती, न ही मैं अपने दुःख की विवेचना कर सकता हूँ और वह क्षोभ भी नहीं, जो मुझे आत्मक्लेश दे रहा है"
"विशेषतया इन यात्राओं और अभियानों के दौरान जब उसका (विद्रोही राजकुमार शाहजहाँ) पीछा करते हुए मुझे अनेक कष्ट झेलने पड़े हैं, जो अब मेरा पुत्र नहीं रहा।"
* इलियट एण्ड डोसन का इतिहास, खंड ६, पृष्ठ २८१
किसी भी चीज का निर्माता होने के विपरीत शाहजहाँ विध्वंसक था। उसका स्वयं का दरबारी इतिहास-लेखक मुल्ला अब्दुल हमीद लाहौरी क्या कहता है। वह यह है*-"बादशाह सलामत के सामने यह बात लाई गई कि धार्मिक भावना के महान् केन्द्र बनारस में पिछले शासनकाल में अनेक मूर्तियों के मंदिर बनने आरम्भ हुए, किंतु वे अधूरे ही रह गए। वे धर्मात्मा अब उन्हें पूर्ण करने के इच्छुक थे। बादशाह सलामत, जो धर्मरक्षक हैं, ने आज्ञा दी कि बनारस तथा उन सभी स्थानों पर जहाँ उनका राज्य है, जहाँ कहीं भी मंदिरों का पुनरुद्धार किया गया हो उनको फिर से गिरा दिया जाए। अब इलाहाबाद प्रान्त से यह सूचना मिली है कि बनारस जिले के ७६ मंदिरों को भूमिसात् कर दिया गया है।"
* वही, खंड ७, पृष्ठ ३६
उपरिलिखित उद्धरण से हम निष्कर्ष निकालते हैं। प्रथमतः हम इतिहास के छात्रों के सम्मुख सामान्य सिद्धान्त के रूप में अपना निष्कर्ष प्रस्तुत करते हैं कि विध्वंसक कभी निर्माता नहीं हो सकता। द्वितीयत: ये शब्द 'भूमिसात्'"विध्वंस' का यह स्पष्ट अभिप्राय समझना चाहिए कि हिन्दुओं को उनके मंदिरों से भगा दिया गया, उनकी मूर्तियों को फेंक दिया गया और उसी भवन को मस्जिद के रूप में प्रयुक्त किया गया। मुसलमान शासकों की यही वह प्रक्रिया है जो स्पष्ट करती कि प्रत्येक मध्यकालीन मकबरा और मस्जिद हिन्दू-मन्दिरों अथवा भवनों जैसा दिखाई देता है।
श्री कँवरलाल की पुस्तक में लिखा है* - "शाहजहाँ सर्वात्मना कट्टर सुन्नी मत का माननेवाला था और सम्भवतया मुमताज़ महल के भड़काने पर उसने पुनः हिंदू मंदिरों को तुड़वाया।"
* दि ताज, लेखक कँवरलाल, पृष्ठ ४२-४३
उसने आगरा में गिरजाघरों की मीनारों को तुड़वा दिया* "योरोपियन पर्यटक बर्नियर और मनूसी ने शाहजहाँ के व्यक्तिगत जीवन से सम्बन्धित असंख्य कलंकों का उल्लेख किया है और उसे ऐसा घृणित व्यक्ति चित्रित किया है जिसके जीवन का एकमात्र लक्ष्य व्यभिचारपूर्ण और राक्षसी कामासक्ति को प्रश्रय देना था। उनके अनुसार प्रासाद में अधिकतर सौन्दर्य का बाजार लगाना और राज्य द्वारा बहुत बड़ी संख्या में नर्तकियों का भरण-पोषण, हरम में सैकड़ों पुरुष कर्मचारियों की विद्यमानता आदि ऐसे अनेक कार्य शाहजहाँ की वासना-तृप्ति के उद्देश्य से होते थे। मनूसी कहता है-"ऐसा प्रतीत होता है कि मानो शाहजहाँ को केवल एक ही बात की परवाह थी-अपनी वासना-तृप्ति के लिए सुन्दरियों की तलाश।"
* दि ताज, लेखक कँवरलाल, पृष्ठ २६
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- प्राक्कथन
- पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
- शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
- टैवर्नियर का साक्ष्य
- औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
- पीटर मुण्डी का साक्ष्य
- शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
- एक अन्य भ्रान्त विवरण
- विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
- बादशाहनामे का विवेचन
- ताजमहल की निर्माण-अवधि
- ताजमहल की लागत
- ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
- ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
- शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
- शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
- बाबर ताजमहल में रहा था
- मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
- ताज की रानी
- प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
- ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
- उत्कीर्ण शिला-लेख
- ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
- प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
- दन्तकथा की असंगतियाँ
- साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
- आनुसंधानिक प्रक्रिया
- कुछ स्पष्टीकरण
- कुछ फोटोग्राफ