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इतिहास और राजनीति >> ताजमहल मन्दिर भवन है

ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...

शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय


शाहजहाँ के शासन को इतिहास का स्वर्णिम तथा शान्तिमय काल कहना, जैसा कि उसके शासन से सम्बन्धित सभी विवरणों में उल्लिखित है, और उसको मन्दिरों, मस्जिदों, दुर्गों और प्रासादों का निर्माता मानना सत्य का उपहास करना है। उसका शासन अत्यधिक कष्टकारक, महामारियों से भरपूर, युद्ध और अकालग्रस्त शासनों में से एक था, उसके शासन को शान्तिमय कहने का केवल मात्र यही अभिप्राय है कि जिससे आगरा में ताजमहल और दिल्ली में लाल किला जैसे भवनों के निर्माण का जो मिथ्या श्रेय उसको दिया जाता है उसे सिद्ध किया जा सके।

हम पहले ही सिद्ध कर चुके हैं कि बहुत बड़ी संख्या में लगभग ९९ प्रतिशत-गैर-मुस्लिम भारतवासियों के साथ उसने पाशविकतापूर्ण अत्याचार किए। उनको सताया गया, दण्ड दिया गया और उनके मन्दिरों को ध्वस्त कर दिया गया। हम यह भी बता चुके हैं कि शाहजहाँ ने अपने उन निकट संबंधियों की, जो गद्दी के अधिकारी सिद्ध होते अथवा उसके अपने अधिकार को चुनौती देते, किस प्रकार हत्या करवा दी।

क्या किसी शासक के शासन को मात्र कल्पना के प्रभाव से स्वर्णिम और शान्तिपूर्ण कहा जा सकता है जबकि उसके शासन में किसी भी स्त्री का सतीत्व और किसी पुरुष का जीवन और सम्पत्ति सुरक्षित न हो? क्या वह काल स्वर्णिम और शान्तिमय हो सकता है यदि वह अनन्त युद्धों और विद्रोहों से परिपूर्ण हो?

शाहजहाँ के पास न तो समय था, न धन, न सुरक्षा का साधन था और न उसमें वह दृष्टि ही थी कि जिससे वह दिल्ली का लाल किला और तथाकथित जामा मस्जिद और आगरा में ताजमहल जैसे भव्य भवनों का निर्माण कर सके।

शाहजहाँ के पास तो इतने पर्याप्त साधन भी नहीं थे कि हथियाये गए हिन्दू भवन को परिवर्तित करने के उद्देश्य से मचान भी बंधवा सके, उसका अपना स्वयं का भवन बनवाने की बात तो दूर की है। टैवर्नियर का कथन इसमें हमारे पास प्रमाण है।

बादशाह जहाँगीर की मृत्यु २७ अक्तूबर, १६२७ को हुई (और) शाहजहाँ
आगरे में ६ फरवरी, १६२८ को गद्दी पर बैठा।*
* इलियट एण्ड डौसन का इतिहास, भाग ७, पृष्ठ ५-६

मुहम्मद काजिम के आलमगीरनामा* के अनुसार, "शाहजहाँ जब १८ सितम्बर, १६५७ को बीमार पड़ा तो शासन से उसका प्रभावपूर्ण नियन्त्रण समाप्त हो गया, और उसके बेटे शासन हथियाने के लिए विद्रोह कर परस्पर लड़ने लगे।"
* इलियट एण्ड डौसन का इतिहास, भाग ७, १७८

इस प्रकार शाहजहाँ का शासन २९ वर्ष और ७ मास तक चला।

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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