सामाजिक >> अजनबी अजनबीराजहंस
|
0 |
राजहंस का नवीन उपन्यास
"नहीं विकास ये नहीं चलेगा।" लता ने कहा।
"क्यों?" विकास ने आश्चर्य से कहा।
"ये सब करने के लिये तुम्हें शादी करनी होगी।" लता ने साफ शब्दों में कहा।
सेठ दयानाथ जब घर पहुंचे तो विकास घर पर ही था। आज पहली बार ऐसा मौका आया था कि विकास घर पर ही मिला था। सेठ जी की समझ में नहीं आया कि आज सूरज पश्चिम से कैसे निकल आया।
रामू ने सेठ जी का सामान अन्दर पहुंचाया और चाय बनाने रसोई में चला गया। थोड़ी देर बाद रामू ने चाय का प्याला मेज पर लाकर रख दिया।
"सरकार चाय।” रामू ने सेठ जी को आंखें मूंदे देखकर कहा।
“हाँ लाओ रामू।” सेठ जी ने आंखें खोलकर हाथ बढ़ाया।
रामू ने चाय का प्याला सेठ जी को पकड़ा दिया और वहीं खड़ा हो गया।
"रामू एक बात बताओ।"
"जी सरकार।”
"ये विकास घर पर कैसे है?" सेठ जी ने रामू से कहा।
"अभी पूछकर आता हूँ सरकार।” रामू ने चलते हुये कहा
तुम गधे हो।" सेठ जी का पारा चढ़ गया।
"जी सरकार।" रामू रुक गया।
"ये क्या...जी सरकार-जी सरकार लगा रखी है, ठीक से 'बोलो...विकास आज घर पर है या रोज आ जाता है।"
"जिस दिन आपने डांटा था तब से रोज ही रात को घर आ जाते हैं।”
"अच्छा तो डांट का असर हुआ है...आफिस गया हैं यह नहीं।" सेठ जी ने फिर पूछा।
“हाँ सरकार रोज ही आफिस जाते रहे हैं...फैक्ट्री का चपरासी बता रहा था।”
“शुक्र है भगवान का।” सेठ जी के चेहरे पर मुस्कान नाच उठी।
“सरकार हम आपसे कुछ अर्ज करना चाहते हैं।” रामू के हाथ अनायास ही जुड़ गये।
अरे बोलो भई..कांप क्यों रहे हो...आज तक हमने कभी.. ऐसा किया है कि तुम्हारी बात न सुनी हो।” सेठ जी का स्वर अपनत्व से परिपूर्ण था।"
“तभी तो सरकार हमने आपसे कहने को सोचा है।"
“कहो रामू।”
"बात ये है सरकार...हमारे गांव की एक लड़की है बी० ए० का इम्तहान दी है उसकी मापी उसकी शादी एक साठ साल के आदमी से करना चाहती है। आप ही कहें सरकार पढ़ी लिखी है। लड़की भला बूढ़े से कैसे शादी करेगी?"
"हाँ रामू ये तो बेचारी के साथ बड़ा अन्याय है...पर उसके मां-बाप कहाँ है?”
"अरे सरकार मां-बाप होते तो रोना ही किस बात का था। बेचारी अनाथ है...मामा-मामी ही पाले हैं...पर मामी बड़ी लड़की। है...लड़की को अपने सर पर बोझ समझती है।” रामू की आंखों ; में आंसू आ गये।
"रामू हमे कैसे उस लड़की की मदद कर सकते है।”
"सरकार उसे कहीं नौकरी दे दो बेचारी अपना पेट पाल लेगी...सरकार कहती है अगर बूढ़े से शादी हुई तो हम आत्महत्या कर लेंगे।"
“रामू ऐसा है...हम तो अभी आये हैं...विकास को बुलाओ अंगर कोई जगह खाली होगी तो हम उसे कल ही नौकरी पर लगा देंगे।" सेठ जी का मन लड़की की कहानी सुनकर भर आया था।
|