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अजनबी

राजहंस

प्रकाशक : धीरज पाकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :221
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15358
आईएसबीएन :0

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राजहंस का नवीन उपन्यास

"चलो फिर पहन कर दिखाओ।"

“क्या - ये तुम मेरे लिये लाये हो।”

"नहीं मेमसाहब ये तो मैं अपने लिये लाया हूं।” विकास मुस्कुरा दिया।

लेकिन मैं इसका क्या करूंगी।"

"तुम ये नहीं जानती इसका क्या होता है।"

"जानती हूं...लेकिन ये सब तुम जैसे बड़े लोगों को शोभा 'देता है...हम तो साधारण लोग हैं...ये सब हमें अच्छा नहीं लगता।"

लता का स्वर भारी था।

"लता तुम मुझे गाली दे रही हो।” विकास ने नाराजगी भरे स्वर में कहा

“नहीं विकास...सच्ची बात कह रही हूं।"

“इसका मतलब ये हुआ कि मेरा प्रस्ताव ठुकरा दिया है...लता बोलो...तुमने क्या सोचा है मेरे बारे में।” विकास ने उठकरे लता के हाथ पकड़ लिये।

"विकास...मैं अभी कुछ भी नहीं सोच पाई हूं...तुमने मुझे दोराहे पर खड़ा कर दिया है...विकास तुममें और मुझमें जमीन-आसमान का अन्तर है...कभी ऐसा हुआ है कि जमीन आसमान मिले हों।"

"हाँ लता ऐसा होता है..अगर नहीं हुआ है तो मैं करके दिखाऊंगा लता...एक बार बस तुम हाँ करके देखो।”

"विकास ठीक है तुम कर सकते हो लेकिन तुम्हीं जो कि तुम्हारे शब्दों में काफी कठोर हैं...जिनकी वजह से तुम मुझे। ‘एक दिन अपने घर में नहीं रख सके...उनसे करा सकोगे...बोलो।"

"लता तुम ठीक कहती हो...मैं अपने डैडी से डरता हूं...लेकिन इस विषय में मैं उनसे कभी नहीं डरूंगा...लता तुम मुझसे किसी की भी कसम खिलाकर देख सकती हो।"

"अगर तुम ऐसा करने की हिम्मत रखते हो तो...मुझे क्या इंकार हो सकता है...लेकिन डरती हूं अनेक अमीर, लोगों की तरह कहीं तुम भी मुझे मंझधार में ना छोड़ देना विकास...तुम नहीं । जानते..बचपन से आज तक मैंने प्यार नहीं पाया है...पाई है तो मामी की मार और मामा को डरा हुआ प्यार...मामा मुझे बहुत चाहते। थे लेकिन मामी से इतना डरते थे...कि कभी भी दिल से प्यार नहीं कर सके।” बोलते-बोलते लता रो पड़ी।

“लता मैं तुम्हें इतना प्यार दूंगा...कि दुनिया का हर गम तुमसे दूर भाग जायेगा।” विकास ने लता को अपनी बांहों के घेरे में कैद कर लिया। फिर उसके बाल सहलाने लगा।

लता रोते-रोते विकास से चिपक गई-“विकास मुझे धोखा तो नहीं दोगे।”

"नहीं लता आज से तुम मेरी हो सिर्फ मेरी।” विकास ने कहा और धीरे-धीरे उसे अपने से अलग कर दिया।

"अब मेरी बात मान लो...अब ये पहन कर दिखा दो।"

"पर तुम सुबह क्लब जाने को कह रहे थे।"

“क्लब को मारो गोली...अब तो हम अपनी लता के पास। के रहेंगे।"

लता ने पैकिट उठाया और बाथरूम में चल दी।

विकास लता में खो गया।

लता जब नाइटी पहन कर कमरे में आई...तो विकास उसके रूप यौवन को देखता रह गया।

लता एक अछुई कली थी। उसका शरीर गंठा हुआ था...एक-एक अंग जैसे कुदरत ने अपने हाथों से संवारा था। लता के रूप ने विकास के शरीर में शोले धधको दिये। वह अपने पर काय नहीं रख पाया। उसने उठकर लता को अपनी बांहों में कसके। जकड़ लिया। पर लता विकास की बांहों से निकल गई।

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