लोगों की राय

सामाजिक >> अजनबी

अजनबी

राजहंस

प्रकाशक : धीरज पाकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :221
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15358
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

राजहंस का नवीन उपन्यास

सुनीता ने निश्चय किया कि वह मुकेश का दिल अवश्य ही टटोलेगी। उसके दिल में क्या है। लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था। वह भला किस प्रकार मुकेश से ऐसी बातें करेगी।

सुनीता के दिमाग में मीना का नाम घूम गया। मीना हर किसी से हर तरह की बातें, निसंकोच कर लेती थी...पर इसका मतलब यह नहीं था कि उसकी आदतें खराख्न थीं आज तक कालेज। का कोई लड़का मीना से कोई गलत हरकत नहीं कर पाया था। हर कोई उसे अपनी बहन की तरह ही प्यार करता था। मीना भी। हर किसी के दुख में साथ देने के लिये सदा तैयार रहती थी।

विकास जब कोठी पहुंचा तो वह सोच रहा था डैडी तो अभी। मद्रास से वापिस नहीं आये होंगे पर उसका विचार गलत निकला उसने देखा सेठ जी बाहर लॉन में ही टहल रहे थे।

विकास अपने डैडी को देखकर ऊपर से नीचे तक कांप उठा। पर मरता क्या न करता। अब तो उसे डैडी का सामना करना ही थी। वह धीरे-धीरे डैडी के पास पहुंचा पर उसके डैडी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। विकास ने बचकर निकल जाना चाहा पर तभी उसके कानों में डैडी का स्वर पड़ा-“विकास!"

"जी...डैडी।” विकास के पांव वहीं स्थिर हो गये।

दो दिन से तुम कहाँ थे?”

"यहीं था।"

“तुम यहीं थे...रात तुम यहीं थे?” सेठ जी का स्वर कठोर था।

"नहीं डैडी...वो...वो मैं रात अपने दोस्त के घर रुक गया। था।” विकास ने बहाना बनाया।

"किस दोस्त के घर थे...नाम बताओ।”

"वो...वो.. डैडी...आप उसे नहीं जानते।” विकास पसीने से नहा गया।

“मैं सब जानता हूं..विका ये मत भूलो कि मैं तुम्हारा बाप हूं...तुम दुनिया की आंखों में धूल झोंक सकते हो...पर मेरी आंखों में नहीं...मैंने तुम्हारी शादी करने का निश्चय किया है।" सेठ जी को स्वर कठोर था।

“पर डैडी मैं अभी शादी नहीं करना चाहता।” विकास ने कहा।

"क्यों तुम क्यों शादी नहीं करना चाहते।" सेठ जी ने पूछा।

"डैडी अभी मैं आगे पढ़ना चाहता हूँ।” विकास ने जल्दी में कह दिया।

"तुम पढ़ना चाहते हो...या पढ़ाई के बहाने से वह गुलछरे उड़ाना चाहते हो।”

"नहीं डैडी...मैं वास्तव में अभी पढ़ना चाहता हूं।"

"शटअप मुझे बेवकूफ समझते हो।” अचानक ही सेठजी। क्रोध से चिल्ला उठे-

"मैंने तुम्हारे रिश्ते की बात तय कर ली है..आज ही तुम्हें मेरे साथ चलना होगा।” सेठ जी ने निर्णय सुना दिया।

"पर डैडी मैं इस प्रकार बिना देखे शादी नहीं कर सकता।” अब विकास ने अपने को संयत कर लिया था।

"लो देखो...यह है उस लड़की की फोटो।" सेठ जी ने जेब से एक फोटो निकाल कर विकास के सामने मेज पर डाल दी।

विकास ने हाथ बढ़ाकर फोटो उठा ली। फोटो देखते ही विकास के मस्तिष्क में करेंट सा दौड़ गया। लड़की:अति सुन्दर। थी। आज तक विकास लता के रूप का ही दीवाना था पर इस फोटो के सामने लता कुछ भी नहीं थी। विकास के मुंह में पानी आ गया पर वह अपने डैडी के सामने इतनी जल्दी हथियार डालना नहीं चाहता था। अतः कुछ देर में खुद ही बोला-“डैडी मैंने फोटो

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book