नई पुस्तकें >> वतन तेरे लिये वतन तेरे लियेसाजिद हाशमी
|
0 5 पाठक हैं |
देश मक्ति के गीत व कवितायें
शम्स, मेहताब को जुगनूँ को ग़ज़ल कहते हैं,
लोग अल्फ़ाज़ के जादू को ग़ज़ल कहते हैं,
हमने साँसों में बसाई है वतन की चाहत,
शाइरी हम तेरी ख़ुशबू को ग़ज़ल कहते हैं।
* *
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book