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मिस आर - आरंभ

दिशान्त शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15962
आईएसबीएन :978-1-61301-699-2

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भारत  की  पहली  महिला  सुपर हीरोइन ‘मिस -आर' जो खुद एक बलात्कार पीड़िता और एसिड पीड़िता है लेकिन उसकी ‘औरा पावर’ ने उसे एक नया अवतार दिया है। वो खुद की और लोगों की मदद करना चाहती है...

“अगले साल मैं उन्हें कह दूँगा।” पापा ने मुस्कुराते हुए कहा।

“पापा आप कभी तो थामस अंकल और अपनी दोस्ती के बारे में भी बताया करो ना, आप मुझे कभी कुछ नहीं बताते हैं।”

“बेटा, मैं और तुम्हारे अँकल एक साथ पढ़ते थे, हम दोनों तभी से दोस्त हैं। तुम्हारे अँकल ने शादी नहीं की है तो वो हर साल अपना अकेलापन दूर करने के लिए मुझे बुला लेते हैं।”

“पापा थामस अँकल रहते कहाँ हैं?”

“बेटा वो महाराष्ट्र के एक गाँव में रहते हैं, गाँव का नाम ऋषभगंज है।”

“आपके पास उनकी कोई तस्वीर है?”

“नहीं बेटा, मुझे और तुम्हारे अँकल को भी तस्वीर खिचवाने का कोई शौक नहीं है।”

“उन्होंने भी साइंस में ही कुछ किया है?”

“हाँ बेटा, उन्होंने बायोलाजी में मास्टर्स किया है।”

“तो पापा उनकी और मेरी पसंद एक ही है, आप मुझे उन से कब मिलवाओगे?”

“अगले साल या शायद अगले के अगले साल बेटा।”

“पापा आप भी ना।”

“तुमने और वीणा ने खूब मजे किए होंगे।”

“जी पापा, बहुत फन किया, वैसे पापा आप हमारी छोड़िए, थामस अँकल ने शादी क्यों नहीं की?”

“बेटा,उन्होंने अपनी पढ़ाई से ही शादी करली है। वो गाँव के बच्चों को पढ़ाते हैं और बाकी समय में बायोलाजी में रिसर्च वर्क करते हैं।”

“पापा उनका मोबाइल नंबर हो तो हम उनसे बात तो कर ही सकते हैं ना”

“नहीं बेटा, तुम्हारे अँकल फोन वगैरह का इस्तेमाल नहीं करते हैं इसी कारण तो वह हर साल चिट्ठी भेजते हैं।”

“पापा वो हमसे मिलने यहाँ पर क्यों नहीं आते?”

“बेटा तुम्हारे अँकल गाँव से बाहर कम ही जाते हैं।”

“पापा आप और मम्मी तो अनाथ, अ...अ...मेरा मतलब दादा जी-दादी जी और नाना जी-नानी जी नहीं थे और आप दोनों के ही कोई रिश्तेदार भी नहीं थे, लेकिन थामस अँकल के मम्मी-पापा तो होंगे ना।

“बेटा अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि तुम्हारे अँकल भी अनाथ हैं। वो भी हमारी तरह अनाथालय में पले-बढ़े हैं, लेकिन वो महाराष्ट्र में थे और तुम्हारी मम्मी और मैं राजस्थान के अनाथालय में बड़े हुए हैं।”

“तो आप उन से पहली बार कब मिले थे ?”

“बेटा मैं सन् 1989 में दिल्ली की यूनीवर्सिटी में बी.एस.सी. करने के लिए गया था, उसी क्लास में मेरा क्लासमेट था थामस। हम दोनों मिलते ही पक्के दोस्त बन गये। हम दोनों को ही साइंस बहुत पसंद थी। हम दोनों ही शरारती थे। नियम तोड़ना हम दोनों को ही पसंद था, बस इसी में दोस्ती गहरी हो गयी।

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    अनुक्रम

  1. अनुक्रमणिका

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